मुंबई July 08, 2010
सरकार ने खुला बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत बेचे जाने वाले गेहूं की कीमतों में 2 रुपये से लेकर 12-13 रुपये प्रति क्विंटल तक की कमी करने की घोषणा की है। सरकार द्वारा खुले बाजार में उतारे गए गेहूं की उम्मीद के मुताबिक बिक्री न हो पाने, पर्याप्त स्टॉक रहने और फ्लोर मिल मालिकों की नाराजगी को दूर करने के लिए यह कदम उठाया है।ओएमएसएस के तहत भरे जाने वाले टेंडर अब नए मूल्य केआधार पर भरे जाएंगे। भारतीय खाद्य निगम ने ओएमएसएस के तहत बेचे जाने वाले गेहू की कीमतों में कमी करते हुए दिल्ली में 2 रुपये प्रति क्विंटल कम कर दी हैं, जबकि दक्षिण भारत के राज्यों में 12-13 रुपये प्रति क्विंटल की कमी की गई है। तमिलनाडु में 1402 रुपये प्रति क्विंटल पर बेचे जाने वाला गेहूं अब 1389।78 रुपये प्रति क्विंटल पर बेचा जाएगा। जबकि कर्नाटक में 1407 रुपये की जगह 1398.10 रुपये और केरल में 1436.35 रुपये प्रति क्विंटल की जगह 1422.50 रुपये प्रति क्विंटल की दर से एमसीआई गेहूं की बिक्री करेगा।सरकार केपास इस समय भारी स्टॉक है जिसको रख पाना मुश्किल हो रहा है। इसलिए सरकार को अपनी कीमतों में कमी करनी पड़ रही है। शेयरखान में कमोडिटी हेड मेहुल अग्रवाल के अनुसार सरकार केपास इस समय 6 करोड़ टन से भी ज्यादा गेहूं है जिसको रख पाना सरकार के समाने एक बड़ी चुनौती है। सही रखरखाव न हो पाने के कारण गेहूं की गुणवत्ता खराब हो रही है जिसके कारण फ्लोर मिल मालिक सरकारी गेहूं को खरीदना नहीं पसंद करते हैं। इसके अलावा ऑस्टे्रलिया से आने वाला गेहूं अभी भी दक्षिण राज्यों के कारोबारियों को सरकारी गेहूं की अपेक्षा सस्ता पड़ रहा था जिसके चलते वहां सरकारी गेहूं के खरीदार नहीं मिल रहे थे इस बात को ध्यान में रखते हुए और फ्लोर मिल मालिकों की मांग की वजह से सरकार को यह कदम उठाना पड़ा है। सरकारी नीतियों से नाराज मिल मालिक बाहरी गेहूं को ज्यादा तरजीह दे रहे थे। फ्लोर मिल मालिक एसोसिएशन के अनुसार इस साल करीबन 1 लाख टन गेहूं का आयात हो सकता है जबकि पिछले साल 1.58 लाख टन गेहूं का आयात किया गया था। विदेशी गेहूं पर फिदा फ्लोर मिल मालिकों का कहना है कि सरकारी गेहूं की अपेक्षा विदेशी गेहूं सस्ता होने के साथ बेहतर गुणवत्ता की भी रहता है। इस समय बेंगलुरु में फ्लोर मिल मालिकों को ऑस्ट्रेलिया से आने वाले गेहूं के प्रति क्विंटल 1570 रुपये चुकाने होते हैं जबकि मिल तक ले जाने पर सरकारी गेहूं करीबन 1585 रुपये प्रति क्विंटल का पड़ रहा था।इसके अलावा मिल मालिकों का कहना है कि सरकारी गेहूं की गुणवत्ता सही नहीं रहती है जिसके कारण उनको आयातित गेहूं लेना पड़ता है। इस साल देश में गेहूं की रिकॉर्ड पैदावार भी हुई है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार इस बार 8.098 करोड़ टन गेहूं की पैदावार हुई है जबकि पिछले साल 8.068 करोड़ टन गेहूं की पैदावार हुई थी। ओएमएसएस के तहत पिछले साल सरकार ने अक्टूबर से गेहूं की बिक्री शुरू की थी। जून तक के लिए 20.81 लाख टन गेहूं का आवंटन किया गया था। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के सूत्रों के अनुसार जून तक कुल 12.49 लाख टन गेहूं की ही निविदा भरी गई थी। (बीएस हिंदी)
10 जुलाई 2010
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