कोच्चि July 08, 2010
काली मिर्च की कीमतों में वैश्विक तेजी के अनुमान हैं। दुनिया के सबसे बड़े काली मिर्च उत्पादक देश वियतनाम से उत्पादन का बड़ा हिस्सा बाजार में पहुंच चुका है। साथ ही पिछले कुछ साल की तुलना में वैश्विक स्टॉक की स्थिति भी कमजोर है, जिसकी वजह से कीमतों में तेजी शुरू हो गई है।वियतनाम से आ रही खबरों के मुताबिक इस सत्र की फसल में से करीब 85000 टन फसल का निर्यात पहले ही हो चुका है। वहां पर बचा हुआ स्टॉक अनुमानित रूप से 30,000 से 35,000 टन के बीच है। रमजान और जाड़े के सीजन की मांग के चलते बाजार अब बढ़ी हुई मांग के दौर की ओर बढ़ रहा है। ऐसे में स्टॉक कमजोर होने का असर कीमतों पर पड़ रहा है। इंडोनेशिया को छोड़कर सभी काली मिर्च उत्पादक देशों में अब इसकी कीमतें 4000 डॉलर प्रति टन से ऊपर चली गई हैं। रिपोर्टों के मुताबिक पश्चिम एशियाई देशों की ओर से मांग बेहतर है। भारत और वियतनाम में अब काली मिर्च की कीमतें 4100 डॉलर प्रति टन हैं, वहीं ब्राजील में कीमतें 4075-4100 डॉलर प्रति टन के बीच चल रही हैं।मार्च के बाद से वियतनाम में 65 प्रतिशत, भारत में 35 प्रतिशत और ब्राजील में 35 प्रतिशत की तेजी आई है। वियतनाम से आ रही खबरों के मुताबिक वहां के स्टॉकिस्ट और उत्पादक दोनों ही आराम की स्थिति में हैं और माल की बिक्री के लिए कोई जल्दबाजी नहीं दिखा रहे हैं। इसकी वजह यह है कि काली मिर्च का वैश्विक स्टॉक कम रह गया है। कारोबारियों के मुताबिक स्थानीय बाजारों में बड़ी मात्रा में काली मिर्च रुकी हुई है, क्योंकि पश्चिम एशिया में मांग बढ़ी है और बाजार में इसकी मात्रा कम हो रही है।वियतनाम में कीमतों में तेज बढ़ोतरी हुई है, जिसकी वजह से ब्राजील का बाजार ज्यादा आकर्षक हो गया है। अनुमान के मुताबिक ब्राजील से नई फसल के सितंबर से दिसंबर 2010 के बीच होने वाली आपूर्ति के सौदे 2000-3000 टन के बीच हैं। साथ ही जुलाई के मध्य से ब्राजील में फसलें तैयार होनी शुरू हो जाती हैं। अनुमान के मुताबिक इस अवधि में ब्राजील में 30,000-35,000 टन उत्पादन होने की उम्मीद है। इंडोनेशिया एएसटीए किस्म का प्रमुख बाजार बना हुआ है, वहां पर न्यूनतम कीमतें 3900-3950 डॉलर प्रति टन हैं। वहां पर फसल की कटाई अगस्त के पहले सप्ताह में खत्म हो जाएगी और रमजान की छुट्टियां अगस्त के दूसरे सप्ताह में शुरू हो रही हैं। वहां पर 20-30 प्रतिशत फसल की कटाई पूरी हो चुकी है।भारत में स्थानीय मांग आने वाले सप्ताहों में बढ़ेगी। इसकी वजह है कि त्योहार और ठंड का मौसम आ रहा है। ऐसे में दुनिया भर के उत्पादकों का अनुमान है कि स्टॉक में कमी आएगी। स्थानीय उत्पादकों को उम्मीद है कि काली मिर्च की कीमतें 200 रुपये प्रति किलो तक पहुंच जाएंगी, जो इस समय 176 से 181 रुपये प्रति किलो के बीच हैं। (बीएस हिंदी)
10 जुलाई 2010
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