कुल पेज दृश्य

10 जुलाई 2010

पवार ने की चीनी उद्योग को डिकंट्रोल करने की वकालत

चीनी उद्योग को सरकारी नियंत्रणों से मुक्त करने की चर्चाएं एक बार फिर से जोर पकड़ रही हैं। इस बार यह पहल किसी और ने नहीं, बल्कि खुद खाद्य एवं कृषि मंत्री शरद पवार ने की है। पवार ने शुक्रवार को कहा कि खाद्य मंत्रालय इसके लिए सरकार से सिफारिश करगा। अपनी बात को और स्पष्ट करते हुए पवार ने कहा कि चीनी उत्पादन की स्थिति की समीक्षा करने के बाद चालू पेराई सीजन के अंत में चीनी उद्योग को नियंत्रण मुक्त करने की सिफारिश कैबिनेट के पास भेजी जाएगी।नेशनल शुगर कोऑपरटिव फैक्ट्रीज फेडरशन (एनएससीएफएफ) के स्वर्ण जयंती समारोह में पवार ने यह भी कहा कि गन्ना किसानों के हितों की पूरी रक्षा की जाएगी, इसलिए गन्ने की फेयर रिम्यूनरटिव प्राइस (एफआरपी) तय करने का अधिकार सरकार के पास ही रहेगा। उन्होंने कहा, त्ननेशनल शुगर कोऑपरटिव फैक्ट्रीज फेडरशन और भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) ने चीनी उद्योग को नियंत्रण मुक्त यानी डिकंट्रोल किए जाने की मांग की है। हम पूरी स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं। अगस्त तक हमें पता चल जाएगा कि गन्ने का रकबा क्या है और चीनी उत्पादन कितना रहेगा। स्थिति के आकलन के बाद ही हम इस बार में कैबिनेट को सिफारिश भेजेंगे।गौरतलब है, कृषि मंत्री ने चालू सप्ताह के शुरू में ही कहा था कि सरकार अब चीनी उद्योग को नियंत्रण मुक्त करने पर गंभीरता से विचार कर सकती है। उन्होंने कहा था कि आगामी पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन अच्छा होने की आशा है। इस समय देश में चीनी उद्योग ही एकमात्र ऐसा उद्योग है जिस पर सरकार का इतना ज्यादा नियंत्रण है।उन्होंने कोऑपरटिव सेक्टर की शुगर मिलों के मैनेजमेंट में सुधार की भी बात कही। उन्होंने कोऑपरेटिव मिलों से कहा कि वे चीनी उत्पादन के अलावा अन्य उत्पादों के उत्पादन पर भी जोर दें। (बिज़नस भास्कर....आर अस राणा)

कोई टिप्पणी नहीं: