मुंबई July 09, 2010
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) की ओर से गेहूं की कीमतों में मामूली कमी किए जाने से खुला बाजार बिक्री व्यवस्था (ओएमएसएस) के जरिए गेहूं की बिक्री पर बहुत ज्यादा प्रभाव पडऩे के आसार नहीं हैं। रेलवे भाड़े में 7 फीसदी कमी के बाद एफसीआई ने बुधवार को ओएमएसएस के अंतर्गत गेहूं के आधार मूल्य में कमी की थी।गेहूं की निविदा के लिए आधार कीमत दिल्ली में 2 रुपये क्विंटल कम हो गई है और दक्षिणी राज्यों में 12-13 रुपये की कमी आ गई है। जैसे तमिलनाडु में गेहूं के भाव 1,402 रुपये क्विंटल के मुकाबले 1,389।78 रुपये क्विटल हो गए हैं। नैशनल स्पॉट एक्सचेंज (एनएसईएल) के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी अंजनी सिन्हा ने कहा, वास्तव में कीमतों में कोई कटौती नहीं हुई है, सरकार ने सिर्फ परिवहन लागत घटाई है। आधार कीमत अब भी मौजूदा हाजिर बाजार कीमतों से ज्यादा है। हाजिर कीमतें 1,230-1,240 रुपये क्विंटल हैं। अगर सरकार इस कीमत को हाजिर कीमतों के बराबर या उससे कम रखती, तो थोक उपभोक्ताओं को फायदा होता। ओएमएसएस के जरिए गेहूं की बिक्री कीमतों पर निर्भर करती है। वरना नीलामी में सिर्फ वैसे कारोबारी शामिल होंगे जो बड़ी मात्रा में गेहूं हासिल नहीं होता है। जून में एनएसईएल की ओर से ओएमएसएस के अंतर्गत गेहूं की नीलामी की गई थी जिसके जरिए 750 टन गेहूं बेचा गया। भंडारण व्यवस्था की कमी और मॉनसून की तेजी को देखते हुए बिक्री मात्रा पर लगी रोक हटा ली गई है। एनसीडीईएक्स स्पॉट एक्सचेंज को भी एफसीआई ने गेहूं की नीलामी को कहा है। एनसीडीईएक्स के प्रमुख राजेश कुमार सिन्हा ने कहा कि एक्सचेंज पहली नीलामी आंध्रप्रदेश में करने की तैयारी कर रही है।एफसीआई के पास 171 लाख टन के बफर मानक के मुकाबले 178 लाख टन गेहूं है। एफसीआई की वेबसाइट के मुताबिक सरकार ने 30 लाख टन का स्टॉक रणनीतिक भंडार के रूप में रखा है। (बीएस हिंदी)
10 जुलाई 2010
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