नई दिल्ली July 07, 2010
प्याज का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) कम रहने के कारण पिछले दो माह से इसके निर्यात में बढ़ोतरी जारी है। जून में प्याज के निर्यात में 11 फीसदी इजाफा हुआ है। भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ मर्यादित (नेफेड ) के एक अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि जून माह के दौरान करीब 1।60 लाख टन प्याज का निर्यात हुआ है, मई में यह आंकड़ा 1.44 लाख टन था। इस तरह निर्यात में 11 फीसदी से अधिक बढ़ोतरी दर्ज की गई । देश से सबसे अधिक प्याज का निर्यात बांग्लादेश को किया जा रहा है। इसके अलावा श्रीलंका, मलेशिया, पाकिस्तान सहित खाड़ी देशों को इसका निर्यात हो रहा है। हालांकि पाकिस्तान में प्याज की नई फसल की आवक के कारण देश से कम निर्यात हो रहा है। निर्यात में बढ़ोतरी के बारे में उक्त अधिकारी का कहना है कि एमईपी कम रहने के कारण निर्यात बढ़ा है। मई के दौरान प्याज का निर्यात 40 फीसदी बढ़ा था।वहीं चालू वित्त वर्ष के पहली तिमाही के दौरान करीब 4.10 लाख टन प्याज निर्यात हुई। नेफेड ने जून और जुलाई माह के एमईपी में कोई बदलाव नहीं किया है। इसे मई माह के 200-205 डॉलर प्रति टन पर स्थिर रखा है। अप्रैल में एमईपी में 50 डॉलर प्रति टन की कटौती की गई थी। निर्यात में बढ़ोतरी का असर घरेलू बाजार में प्याज की कीमतों पर भी दिखने लगा है।पिछले दो माह के दौरान घरेलू बाजार में प्याज के थोक भाव 500-700 रुपये से बढ़कर 550-800 रुपये प्रति क्विंटल हो चुके है। दिल्ली के प्याज कारोबारी पीएम शर्मा ने कहा कि बीते दिनों में गर्मी के चलते उत्पादक इलाकों में प्याज को नुकसान हुआ है और अब बारिश के कारण प्याज को नुकसान हो रहा है। इस वजह से मंडियों में अच्छी गुणवत्ता वाली प्याज की कमी है।कारोबारियों के मुताबिक ऐसे में आगे निर्यात बढऩे पर घरेलू बाजार में अच्छी गुणवत्ता वाली प्याज की उपलब्धता में और कमी आने की आशंका है। इससे इस प्याज के दाम बढ़ सकते है, हालांकि इस बार स्टॉक अधिक होने की वजह से कीमतों में भारी बढ़ोतरी के आसार नहीं है। पिछले वित्त वर्ष देश में 18.73 लाख टन प्याज निर्यात हुई थी। इसमें करीब पांच फीसदी का इजाफा हुआ था। देश में वर्ष 2009-10 के दौरान प्याज का रिकॉर्ड 95 लाख टन उत्पादन होने का अनुमान है। (बीएस हिंदी)
08 जुलाई 2010
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