नई दिल्ली 07 04, 2010
चीनी मिलों के मजबूत संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) को एक साल बाद नया महानिदेशक मिलने की उम्मीद है। इसके पूर्व महानिदेशक रहे शांति लाल जैन को करीब एक साल पहले पदच्युत कर दिया गया था। उम्मीद की जा रही है कि खाद्य मंत्रालय के शुगर डेवलपमेंट फंड के पूर्व निदेशक अविनाश वर्मा अगले महानिदेशक का पद संभालेंगे।पिछले साल जुलाई महीने में जैन के सेवानिवृत होने के लिए सहमत होने के बाद सभी कामकाज इस्मा के महासचिव एमएन राव संभाल रहे हैं। चीनी उद्योग के एक अधिकारी ने कहा- इस्मा ने वर्मा से संपर्क साधा है। उन्होंने इस्मा में पदभार संभालने के लिए सरकारी पद से इस्तीफा दे दिया है। इस सिलसिले में इस्मा के सभी सदस्य 8 जुलाई को मिलेंगे और उसी समय वर्मा पदभार संभालने को औपचारिक मंजूरी दी जाएगी और उनकी नियुक्ति के बारे में घोषणा की जाएगी।सट्टा कारोबार और इंडियन शुगर एग्जिम कार्पोरेशन (आईएसईसी) को हुए भारी घाटे की वजह से जैन को जून 2009 में पद छोडऩा पड़ा था। हटने के पहले जैन ने महानिदेशक के तौर पर दो दशक से ज्यादा समय तक काम किया और उन्हें उद्योग और सरकारी खेमे में बहुत प्रभावशाली माना जाता है। नैशनल फेडरेशन आफ कोआपरेटिव शुगर फैक्टरीज के साथ मिलकर इस्मा आईएसईसी का संचालन करती है।इस्मा के प्रमुख होने के साथ जैन आईएसईसी का कामकाज भी सदस्य सचिव के रूप में देखते थे। आईएसईसी ने जैन के खिलाफ मुंबई पुलिस में आर्थिक अपराध के तहत मुकदमा दायर किया था। आईएसईसी ने पाया था कि डेरिवेटिव उत्पादों के सट्टा कारोबार से 20 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। इस तरह का कारोबार तीन साल से ज्यादा समय से चल रहा था, जिसकी जानकारी इस्मा के अन्य अधिकारियों को नहीं थी।इसके साथ ही आईएसईसी को 2008-09 में 7,50,000 टन कच्ची चीनी के निर्यात में 46 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। इसके बाद इस्मा की सदस्य तमाम बड़ी कंपनियों ने संगठन को पुनर्गठित किए जाने का दबाव बनाया, जिससे पारदर्शिता आ सके। (बीएस हिंदी)
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