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02 जुलाई 2010

घट सकता है सोयाबीन का रकबा

भोपाल 07 01, 2010
सोयाबीन के उत्पादन में पिछले वर्षों की तुलना में इस वर्ष कमी के संकेत मिल रहे हैं। इसके लिए कई कारणों को जिम्मेदार बताया जा रहा है। वर्तमान में देश में सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों को चारों तरफ से बेरुखी की मार सहनी पड़ रही है। इंद्र देवता की नाराज़गी से लेकर विदेश में भारतीय डीओसी की मांग में कमी तक सब सोया उत्पादक किसानों के जले पर नमक छिड़कने का काम कर रहे हैं।इसके साथ ही पिछले वर्षों की तुलना में वर्तमान सत्र में सोयाबीन के दामों में लगभग 500 रुपये प्रति क्विंटल तक की कमी को भी कम उत्पादन के संकेत के रूप में देखा जा रहा है। इन सबके चलते वर्ष 2010-11 में सोयाबीन के प्रमुख उत्पादक राज्यों में सोयाबीन की बुआई में लगभग 20 से 25 फीसदी तक की कमी की आशंका जतायी जा रही है। इसके अलावा अमेरिकन कृषि विभाग ने भी जून माह में जारी अपनी रिपोर्ट में सोयाबीन का वैश्विक उत्पादन कम रहने की आशंका जताई है। इन सबको लेकर किसान और व्यापारी सभी काफी विचलित हो रहे हैं। हालाकि सोयाबीन की बुआई में किसानों की नीरसता को देखते हुए इस वर्ष सोया के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्घि जरूर की गयी है। पिछले वर्ष सोया का एमएसपी 1390 रुपये ही था। इसे बढ़ाकर वर्तमान सत्र के लिए 1450 रुपये कर दिया गया है। उल्लेखनीय है कि देश में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र तथा राजस्थान जैसे राज्यों में काफी मात्रा में सोयाबीन की बुआई की जाती है। देश भर का लगभग 65 फीसदी सोया उत्पादन मध्यप्रदेश में ही किया जाता है। सोया उत्पादक राज्यों में सोयाबीन की बुआई जून के दूसरे-तीसरे हफ्ते से शुरू होकर जुलाई के आखिरी दिनों तक की जाती है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान सत्र में 30 जून तक देश भर में केवल 12 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में ही सोयाबीन की बुआई हो सकी थी। जून के अंत तक मध्यप्रदेश में लगभग 25 फीसदी सोयाबीन की बुआई और महाराष्टï्र में लगभग 45 फीसदी बुआई की गयी थी। हालाकि वर्ष 2010-11 में लगभग 85 लाख टन सोया के उत्पादन का अनुमान लगाया जा रहा है, जोकि पिछले वर्ष के लगभग 95 लाख टन उत्पादन से काफी कम है। साथ ही पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष सोया के दामों में भी कमी आयी है। पिछले वर्ष इसी समय सोयाबीन के दाम लगभग 2500-2550 रुपये के आस-पास बने हुए थे जबकि वर्तमान में सोया के दाम घटकर केवल लगभग 1900 रुपये तक ही रह गये हैं।अमेरिकन रिपोर्ट के मुताबिक, विश्व में वर्ष 2010-11 में सोयाबीन उत्पादन 24।99 करोड़ टन ही रहने की उम्मीद है, जबकि पिछले वर्ष 25.92 करोड़ टन सोयाबीन का उत्पादन दर्ज किया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में इस बार सोयाबीन उत्पादन 9.01 करोड़ टन, ब्राजील में 6.50 करोड़ टन, अर्जेंटीना में 5.10 करोड़ टन, चीन में 1.46 करोड़ टन और भारत में 0.88 करोड़ टन ही रहने का अनुमान है।सोयाबीन की खली की विदेशी मांग में आई कमी भी सोया के उत्पादन के प्रति किसानों में नीरसता का प्रमुख कारण बनी हुई है। मांग में कमी का प्रमुख कारण अमेरिका खास तौर से दक्षिणी अमेरिका से सोया खली की मांग का सस्ते में पूरा किया जाना है। उल्लेखनीय है कि सोयाबीन से बनने वाली खली की विदेशों से काफी मांग आती है। हालाकि इस बार ये मांग आयातक देशों द्वारा दूसरे देशों से पूरी कर ली गयी है।दूसरे देशों में सोयाबीन की खली पर व्यापारियों को माल ढुलाई के बाद भी लगभग 3000 रुपये से लेकर 3500 रुपये तक लाभ हो रहा है। इस संबंध में सोपा के प्रवक्ता राजेश अग्रवाल ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि शुरुआती आकलन के अनुसार सोया उत्पादक राज्यों में सोयाबीन की बुआई में कमी जरूर आयी है। कई राज्यों में किसानों द्वारा सोया की जगह दलहन और कपास की खेती की जा रही है। इसके चलते किसान सोयाबीन की बुआई में काफी कम समय दे रहे हैं। वर्तमान सत्र में अभी तक काफी कम बारिश हुई है। (बीएस हिंदी)

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