02 जुलाई 2010
सब्जियों ने भी बिगाड़ा आम जनता का बजट
दालों के बाद अब हरी सब्जियों के चढ़ते दामों से आम उपभोक्ता परशान हैं। पिछले एक महीने में दिल्ली समेत राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में हरी सब्जियों की कीमतों में 25 से 50 फीसदी तक की भारी तेजी आ चुकी है। गर्मी ज्यादा होने के कारण सब्जियों का उत्पादन कम हो गया है जिसका असर आवक पर पड़ रहा है। देश के कई अन्य शहरों में भी सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। मानसूनी वर्षा होने के बाद ही उपभोक्ताओं को हरी सब्जियों की ऊंची कीमतों से राहत मिलने की आशा है।आजादपुर मंडी स्थित बलबीर सिंह मल्ला कंपनी के प्रोपराइटर बलबीर सिंह ने बताया कि ज्यादा गर्मी पड़ने से हरी सब्जियों के पौधों और बेलों के फूल सूख जाते हैं जिससे हरी सब्जियों का उत्पादन कम हो गया है। इस समय ज्यादातर हरी सब्जियों की आवक पहाड़ी राज्यों से हो रही है जिससे परिवहन लागत ज्यादा आ रही है। मंडी में फूल गोभी का भाव जून के शुरू में 13-14 रुपये प्रति किलो था जो बुधवार को बढ़कर 20-22 रुपये प्रति किलो हो गया। उपभोक्ताओं को फूल गोभी 42-45 रुपये प्रति किलो के हिसाब से मिल रही है। बीन के थोक भाव पिछले एक महीने में करीब 10-12 रुपये की तेजी के साथ 17-20 रुपये प्रति किलो हो गए हैं, जबकि फुटकर में इसका भाव 40-45 रुपये प्रति किलो है। परवल के दाम भी 13-15 रुपये से बढ़कर थोक में 19-21 रुपये प्रति किलो हो गए जबकि फुटकर में इसके दाम 39-42 रुपये प्रति किलो हैं। इसी तरह से थोक में अरवी का दाम 12-13 रुपये से बढ़कर 17-20 रुपये प्रति किलो हो गया। फुटकर में इसका भाव 39 से 43 रुपये प्रति किलो चल रहा है। नींबू मंडी में थोक में 20-25 रुपये और फुटकर में 40-45 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। मटर की आवक मनाली से हो रही है तथा थोक में मटर का भाव 38-40 रुपये प्रति किलो है, जबकि फुटकर में इसका भाव 60-65 रुपये प्रति किलो है। इसी तरह टमाटर की एक कैरट (एक कैरट-24 से 25 किलो) का भाव बढ़कर 300-450 रुपये प्रति किलो हो गया है। घीया का भाव थोक में 15-17 रुपये और फुटकर में बढ़कर 25-30 रुपये प्रति किलो हो गया है। बैंगन थोक बाजार में 12-15 रुपये प्रति किलो और फुटकर में 20-22 रुपये प्रति किलो बिक रहा है।शिमला मिर्च का थोक भाव 12-15 रुपये प्रति किलो तो खुदरा भाव 25-30 रुपये प्रति किलो हैं। मानसून की लेट-लतीफी के साथ-साथ पेट्रोलियम उत्पादों की मूल्यवृद्धि ने जयपुर की आम जनता की थाली से हरी सब्जियों को भी साफ करने की तैयारी कर दी है। इन दोनों वजह से सप्ताह भर के दौरान ही सब्जियों के दाम 45 फीसदी तक उछल गए हैं। कुछ हरी सब्जियों के दाम तो इस कदर बढ़ गए हैं कि आम आदमी के लिए इनको खरीदना ही बूते से बाहर हो गया है। जयपुर के सब्जी विक्रेताओं का कहना है कि मानसून में देरी और डीजल महंगा होने के बाद लोडिंग वाहनों द्वारा किराया बीस फीसदी तक बढ़ाने से सप्ताह के दौरान सब्जियों के थोक भावों में 30 से 45 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। वहीं, खुदरा विक्रेता थोक भावों के मुकाबले पचास फीसदी दाम वसूल रहे हैं।उन्होंने बताया कि पिछले एक सप्ताह के दौरान आवक बीस से तीस फीसदी घटने से भी सब्जियों में तेजी आई है। इंदौर में भी खाद्य पदाथरें की बढ़ती महंगाई ने लोगों के किचन का सारा बजट ही बिगाड़ दिया है। सब्जियों के आसमान छूते दामों के कारण लोगों ने इनसे अपनी दूरी बढ़ा ली है। केवल एक महीने में ही इनके दाम ख्क्-ख्म् फीसदी बढ़ गए हैं। इंदौर में ज्यादातर सब्जियां करीब के गांवों और निमाण क्षेत्र से आती हैं। इसके अलावा राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र से भी सब्जियों की आवक होती है। (इनपुट : दिल्ली से आर।एस. राणा, जयपुर से प्रमोद कुमार शर्मा, इंदौर से शमशेर सिंह, भोपाल से धर्मेन्द्र ¨सह भदौरिया)सब्जियां महंगी, पर महंगाई दर घटीनई दिल्ली सब्जियों के दाम भले ही बढ़ रहे हों लेकिन खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर में जून के तीसर सप्ताह में गिरावट आई है। 19 जून को खत्म सप्ताह में महंगाई दर 3.98 फीसदी गिर कर 12.92 फीसदी पर आ गई। इससे एक सप्ताह पहले महंगाई दर 16.90 फीसदी थी। सब्जियों के दाम बढ़ने के बावजूद महंगाई कम होने की दो प्रमुख वजहें हैं। वजह, इंडेक्स में सब्जियों की वेटेज बहुत कम, 1.46 फीसदी है। बेस इफेक्ट का भी इस पर असर है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार आलोच्य अवधि में दालों, फलों एवं दूध जैसी वस्तुओं की कीमत काफी ऊंची रही। योजना आयोग के मुख्य सलाहकार प्रणब सेन ने भी बेस इफेक्ट की बात मानी। (ब्यूरो) (बिज़नस बसकर टीम)
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