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07 जुलाई 2010

अप्रैल-जून तिमाही में घटा लौह अयस्क निर्यात

मुंबई July 06, 2010
वित्त वर्ष 2010-11 की पहली तिमाही में भारत का लौह अयस्क निर्यात 15 प्रतिशत कम हो गया है। इसकी प्रमुख वजह चीन की स्टील मिलों की ओर से धीमी खरीदारी है। फेडरेशन आफ इंडियन मिनरल्स इंडस्ट्रीज (फिमी) के अनुमान के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में लौह अयस्क का निर्यात गिरकर करीब 208 लाख टन रह गया है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 245 लाख टन लौह अयस्क का निर्यात हुआ था। फिमी के सलाहकार एसबीएस चौहान ने कहा कि निर्यात घटने के पीछे मुख्य रूप से 2 वजह है। पहला, इस दौरान लौह अयस्क के हाजिर भाव में कमी आई है। तिमाही के दौरान लौह अयस्क की कीमतें, जिसमें 63 प्रतिशत लोहा होता है, 17 प्रतिशत गिरकर जून के अंत में 150 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गईं, जबकि अप्रैल के शुरू में कीमतें 180 डॉलर प्रति टन थीं।चीन की स्टील मिलें उम्मीद कर रही हैं कि आने वाले दिनों में कीमतों में और कमी आ सकती है, क्योंकि भारत के खननकर्ता मॉनसून के पहले अपना भंडार खाली करना चाहते हैं। दूसरी प्रमुख वजह है कि चीन की सरकार ने स्थानीय स्टील मिलों को सलाह दी है कि ऐसे अयस्क का आयात प्रतिबंधित करें, जिसमें लोहे का अंश 60 प्रतिशत या उससे ज्यादा नहीं है। स्टील मिलें सरकार के इस फैसले का विरोध कर रही हैं, लेकिन इसे लेकर कारोबारियों में अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है। चौहान के मुताबिक चीन की सरकार एक प्रस्ताव तैयार कर रही है जिसमें स्टील मिलों को 60 प्रतिशत से कम लोहे की मात्रा वाले अयस्क के आयात करने से रोका जा सके। अगर ऐसा होता है तो करीब 40 प्रतिशत से ज्यादा लौह अयस्क के खरीदार ढूंढने में दिक्कत आएगी। भारत से हर साल 1000 लाख टन लौह अयस्क का निर्यात होता है, जिसमें करीब 400 लाख टन लौह अयस्क ऐसा होता है, जिसमें लोहे की मात्रा 60 प्रतिशत से कम होती है। इस समय चीन ही कम गुणवत्ता वाले लौह अयस्क का एकमात्र खरीदार है, इस कानून के आने के बाद से भारत से निर्यात होने वाले इस कच्चे माल के निर्यात पर खासा असर पड़ेगा।चीन, भारत से 60 प्रतिशत ऐसे लौह अयस्क की खरीदारी करता है, जिसमें लोहे की मात्रा 60-64 प्रतिशत होती है। जापान और कोरिया भारत से लंप आयरन की खरीदारी करने वाले देश हैं। बहरहाल ऑस्ट्रेलिया की सरकरा ने लौह अयस्क पर विंडफाल टैक्स लगाने का प्रस्ताव किया है। यह कर उस 40 प्रतिशत अयस्क पर लगेगा, जो ऑस्ट्रेलिया से निर्यात होता है। ऐसे में वहां से लौह अयस्क का आयात करना महंगा साबित होगा। लेकिन इस प्रस्ताव से भारत के निर्यातकों को फायदा होने की उम्मीद कम ही है, क्योंकि कीमतों में बहुत अंतर है।एक खननकर्ता ने कहा, ऑस्ट्रेलिया में अन्य कर बहुत कम हैं, जिससे वहां के खननकर्ताओं के फायदा होता है। इस तरह से विंडफाल टैक्स लगने के बाद भी लौह अयस्क की कीमतों में मामूली बढ़ोतरी होगी। इसके विपरीत भारत में कर बहुत ज्यादा लगता है, जिसके चलते भारत में लौह अयस्क महंगा पड़ता है। इससे ऑस्ट्रेलिया के खननकर्ताओं को दूरी होने के बावजूद चीन के बंदरगाहों तक पहुंचना आसान हो जाता है।63 प्रतिशत लोहे की मात्रा वाले लौह अयसस्क की कीमतें इस समय 120-125 डॉलर प्रति टन हैं। इसकी कीमतें में जून को खत्म हुई तिमाही में 25-30 डॉलर प्रति टन गिरी हैं। कम गुणवत्ता वाले लौह अयस्क की कीमतें और गिरी हैं। बहरहाल सलाहकार फर्म माई स्टील के आंकड़ों के मुताबिक चीन के बंदरगाहों पर आयातित लौह अयस्क की मात्रा 2 जुलाई को 5 लाख टन बढ़करप 703।5 लाख टन पर पहुंच गई हैं। ऑस्ट्रेलिया से आयातित लौह अयस्क की मात्रा 229.5 लाख टन हो गई है, जिसमें 4.5 लाख टन की बढ़ोतरी हुई है। वहीं भारत के लौह अयस्क का आयात 1 लाख टन बढ़कर 180.7 लाख टन हो गया है। ब्राजील से आने वाले लौह अयस्क की मात्रा 2 लाख टन गिरकर 153 लाख टन रह गई है। लौह अयस्क की वैश्विक कीमतों में गिरावट के बावजूद सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनएमडीसी लिमिटेड ने लौह अयस्क फाइंस की कीमतें घरेलू स्टील मिलों के लिए 320 रुपये बढ़ाकर 2920 रुपये प्रति टन कर दिया है। एनएमडीसी का 2009-10 के दौरान कुल उत्पादन 240 लाख टन रहा था। कंपनी जापान और कोरिया की स्टील मिलों को हर साल करीब 30 लाख टन लौह अयस्क का निर्यात उन्हीं दरों पर करती है, जो घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बेंचमार्क दरें हैं। (बीएस हिंदी)

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