नई दिल्ली 07 09, 2010
सतलुज-यमुना लिंक (एसवाईएल) में दरार और भारी बारिश से बाढ़ की चपेट में आए पंजाब और हरियाणा में आम जनजीवन तो प्रभावित हुआ ही है, धान किसानों की भी हालत खराब हो गई है। बाढ़ के कारण खेती में भी भारी नुकसान की आशंका जताई जा रही है। इन राज्यों में चावल का उत्पादन प्रभावित हो सकता है क्योंकि धान की फसल को नुकसान पहुंचने की आशंका है।बाढ़ से अंबाला, कुरुक्षेत्र, करनाल, पानीपत, पटियाला और लुधियाना जिलों में धान की फसल पूरी तरह पानी में डूब गई है। वहां तकरीबन 5 लाख हेक्टेअर जमीन पानी में डूबी है। बाढ़ की वजह से पंजाब और हरियाणा राज्यों में किसानों को करीब 900 करोड़ रुपये का नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है। छोटे और सीमांत किसानों पर तो इसकी वजह से कर्ज चढऩे का अंदेशा है। लेकिन केंद्र सरकार इसे गंभीर खतरा मानने को तैयार नहीं है। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कौल स्थित चावल अनुसंधान केंद्र के प्रमुख डॉ रतन सिंह ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, 'पंजाब और हरियाणा के जो इलाके बाढ़ से प्रभावित हैं उन इलाकों में धान की फसल पर बुरा असर पड़ा है। खेतों में धान की फसल पानी में पूरी तरह डूब चुकी है और अगले 8-10 दिन तक खेतों से पानी निकलने की संभावना नहीं है। धान की पौध नष्ट हो जाएगी।उनके मुताबिक कुरुक्षेत्र, करनाल, अंबाला में 70-75 फीसदी से अधिक धान की रोपाई हो चुकी है और बाकी बची 25 से 30 फीसदी धान की बुआई के लिए तैयार की जा रही पौध काफी हद तक बर्बाद हो चुकी है। दरअसल धान की पौध पानी में 72 घंटे से ज्यादा सुरक्षित नहीं रहती। नुकसान के बारे में डॉ। सिंह का कहना है कि अभी तक कोई सर्वेक्षण तो नहीं हुआ है लेकिन भारी मात्रा में नुकसान होने की आशंका है।लेकिन राष्ट्रीय किसान संगठन के उपाध्यक्ष गुरचरण सिंह थिंड ने बताया कि हरियाणा के बाढ़ वाले हिस्से में औसतन 50 क्विंटल प्रति हेक्टेअर धान उगाया जाता है। इस तरह 25 लाख टन धान की फसल बर्बाद होने का अंदेशा है। हरियाणा के कैथल स्थित शीतल राइस लिमिटेड के मालिक प्रवेश कुमार का कहना है कि ज्यादा दिनों तक खेतों में पानी रहने पर धान की फसल को भारी नुकसान होगा। पंजाब के जलालाबाद स्थित पुपरेजा राइस मिल के मालिक हरीश पुपरेजा का इस बारे में कहना है कि धान के खेतों में पांच फुट से अधिक पानी भर गया है और इसकी निकासी का कोई साधन नहीं है । आने वाले दिनों में बारिश और होने की संभावना है। ऐसे में पानी बाहर नहीं निकाला जाना किसानों के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। वहीं कृषि मंत्री शरद पवार ने आज कहा कि पंजाब, हरियाणा में आई बाढ़ धान की फसल के लिए गंभीर समस्या नहीं है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार पंजाब सरकार ने इस खरीफ सीजन में करीब 27 लाख हेक्टेअर में धान की बुआई का लक्ष्य रखा है। (बीएस हिंदी)
10 जुलाई 2010
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