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03 जुलाई 2010

मॉनसून में देरी से कपास पर असर

भोपाल July 02, 2010
मॉनसून में देरी के चलते देश में कपास का उत्पादन बाधित हो रहा है। इससे चलते कपास उत्पादक राज्यों में कपास के रकबे में देरी होने की उम्मीद जतायी जा रही है। साथ ही नई फसल में भी देरी की आशंका बनी हुई है। ऐसे में कपास के दामों में तेजी आने की बात की जा रही है। वर्तमान में कपास की कीमतों में 500 रुपये से लेकर 1000 रुपये तक की वृद्घि बनी हुई है।हालाकि कपास के विशेषज्ञों द्वारा कपास के वैश्विक उत्पादन में 5 से 7 फीसदी तेजी आने के संकेत मिल रहे हैं। इसके साथ ही देश में भी 10 फीसदी तक अधिक कपास उत्पादन के अनुमान लगाये जा रहे हैं। हालाकि इन अनुमानों में अमल मॉनसून की मेहरबानी के बिना असंभव ही है।उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष भारत विश्व में दूसरे नंबर का कपास उत्पादक देश था। भारत से पहले केवल अमेरिका में ही सबसे ज्यादा कपास उत्पादन किया गया था। भारत में महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा, राजस्थान और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में कपास की खेती की जाती है। हालाकि इनमें से अधिकतर राज्यों में इस सत्र में मानसून की बेरुखी के कारण अभी पूरी तरह से बुआई नहीं की जा सकी है।इनमें से हरियाणा में कपास का रकबा 5।7 लाख हेक्टेयर की तुलना में 4.5 लाख हेक्टेयर और राजस्थान में 4.4 लाख हेक्टेयर की जगह केवल 3.3 लाख हेक्टेयर के आस-पास है, जबकि उत्तर भारत में पिछले वर्ष की तुलना में 1.42 लाख हेक्टेयर कम बुआई की गई है। पिछले वर्ष उत्तर भारत में 14.47 लाख हेक्टेयर रकबा था। प्रदेश में भी कपास के उत्पादन को बढ़ाने के लिए मध्यप्रदेश कपास बीज अध्यादेश 2010 को लागू करने पर विचार किया जा रहा है। वर्तमान में राज्य में 14 जिलों में कपास की खेती की जा रही है। मध्यप्रदेश में कपास का औसत क्षेत्रफल 5 लाख 72 हजार हेक्टेयर है। पिछले वर्ष 2009-10 में 6 लाख 46 हजार हेक्टेयर में कपास की बुआई की गई थी। इस वर्ष अभी तक राज्य में केवल 35-40 फीसदी बुआई ही की जा सकी है। हालाकि विशेषज्ञों के मुताबिक इस वर्ष 7 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुआई की उम्मीद है। भारतीय कपास निगम लिमिटेड के अनुसार, पिछले वर्ष 2009-10 में देश में कुल 2.92 करोड़ गांठ कपास का उत्पादन किया गया था। कपास उत्पादन के लिए सभी परिस्थितियों के सामान्य रहने पर इस वर्ष उत्पादन में 10 फीसदी तक की तेजी आने की बात निगम द्वारा की जा रही है।ऐसे में वर्ष 2010-11 में 3.20 करोड़ गांठ के उत्पादन के अनुमान लगाये जा रहे हैं। भारतीय कपास निगम लिमिटेड के सूत्रों ने नाम न छापने की शर्त पर बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि मानसून में देरी से कपास की बुआई में असर जरूर पड़ रहा है। हाल ही में केंद्र सरकार ने कपास पर लगे निर्यात से प्रतिबंध हटा लिया है। 1 अक्टूबर से देश में कपास के लिए गैर प्रतिबंधित नीति का क्रियान्वन किया जायेगा। 21 मई को घरेलू बाजार में कपास की कम आपूर्ति और 20 फीसदी तक की कीमत वृद्घि के चलते कपास के निर्यात पर भारत सरकार ने रोक लगा दी थी।निर्यात पर रोक हटने से भी किसान कपास की बुआई में अधिक लाभ की उम्मीद लगा रहे हैं। इस संबंध में देवास के कपास उत्पादक किसान हरिलाल ने बताया कि इस सत्र में कपास की फसल में काफी लाभ दिख रहा था। सरकार ने कपास निर्यात पर से रोक भी हटा दी थी। ऐसे में कपास की विदेशी मांग में भी तेजी आने की उम्मीद थी, लेकिन मानसून में देरी से बुआई में देरी आ रही है। ऐसे में अन्य फसलों की ओर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है। (बीएस हिंदी)

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