कुरुक्षेत्र. किसानों ने रबी फसल गेहूं व अन्य की बिजाई के लिए तैयारी शुरू कर दी है। कृषि विभाग ने जिला कुरुक्षेत्र में गेहूं की फसल की बिजाई का लक्ष्य एक लाख 15 हजार हैक्टेयर रखा है। कृषि विभाग के उप निदेशक एसपी यादव ने बताया कि किसानों को गेहूं की अच्छी फसल लेने के लिए बिजाई के समय ही पूरी एहतियात बरतनी होगी और किसान बिना बीज उपचार के बिजाई न करें।
गेहूं की उत्पादकता बढ़ाने व सौ प्रतिशत बीज उपचार के लिए कृषि विभाग की ओर से इस समय एक अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के अंतर्गत विभाग के अधिकारी किसानों को गेहूं की फसलों की विभिन्न किस्मों के बारे में जानकारी दे रहे हैं।
उन्होंने बताया कि गेहूं की समय पर बिजाई करने के लिए किसान डब्ल्यूएच711, पीबीडब्ल्यू343, पीबीडब्ल्यू502, डब्ल्यूएच542, डीबीडब्ल्यू.17 व एचडी2687 किस्म का इस्तेमाल करें। इन सभी किस्मों की बिजाई करने की सलाह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार ने दी है।
उन्होंने बताया कि इन सभी किस्मों की पैदावार लगभग बराबर होती है। अत: किसान किसी भी किस्म की बिजाई कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि किसान बिजाई से पहले गेहूं के बीज को रेक्सिल एक ग्राम प्रति किलो बीज या वीटा वैक्स/बावीस्टिन दो ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचार करें।
किसान भूमि में सल्फर की कमी को पूरा करने के लिए चार कट्टे प्रति एकड़ जिप्सम भी डालें। किसान गेहूं की फसल मंे यूरिया खाद का इस्तेमाल तीन बार करें। पहली बार बिजाई के समय, दूसरी बार बिजाई के 21 दिन बाद पहली सिंचाई के समय, तीसरी बार बिजाई के 45 दिन बाद दूसरी सिंचाई के समय यूरिया का प्रयोग करें। अधिक जानकारी के लिए किसान कृषि विकास अधिकारी, खंड कृषि अधिकारी, उप-मंडल कृषि अधिकारी या उप-कृषि निदेशक से सम्पर्क कर सकते हैं।
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कैसे पूरा होगा लक्ष्य
कृषि प्रधान राज्य हरियाणा में डीएपी और पोटाश खाद की कमी झेलने के बाद किसानों के समक्ष अब एक और खड़ी हो गई है। अब उन्हें गेहूं प्रमुख किस्मों के बीजों के लिए परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। किसान असमंजस की स्थिति में हैं। कृषि विभाग के वैज्ञानिकों की ओर से उन्हें जिन बीजों के इस्तेमाल की सिफारिश की गई है,वे पर्याप्त मात्रा में नहीं हैं। जबकि इन्हीं किस्मों को बोने से किसानों को गेहूं की अधिक उपज मिलेगी। सहकारी समितियों, हैफेड व इफको के बीज वितरण केंद्रों से कई किसानों को निराश लौटना पड़ रहा है। विभाग के आला अधिकारी कहते हैं कि हर किसान ऐसे बीज ही खरीदना चाहता है। ऐसे में बीज की कमी हो गई है। खेती करने वाला कौन व्यक्ति नहीं चाहेगा कि उसकी फसल भरपूर हो। वैज्ञानिकों ने जब बताया था कि प्रमुख किस्म से पैदावार ज्यादा होगी तो एक सीमा तक इसकी बिक्री की व्यवस्था बनाई जाती। यह लचर व्यवस्था नहीं कि किसानों को उत्तम क्वालिटी के बीज खरीदने के लिए राजनीतिक सिफारिशें लगानी पड़ रही है,जिन किसानों के राजनीतिक संपर्क नहीं हैं वे कहां जाएंगे। हैरत की बात है कि बीज वितरण निगम के अधिकृत केंद्र उस बीज को लेने के लिए जोर दे रहे हैं, जिन्हें मांगा नहीं जा रहा।
जो दुकानदार इन बीजों को ब्लैक में बेच रहे हैं,उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है। वे बीजों के एक कट्टे की दोगुनी कीमत वसूल रहे हैं। निगम के अधिकारियों ने इस पर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया। वे ही बताएं कि जानकारी मिलने पर बाजार का कितनी बार निरीक्षण किया गया है। क्या दुकानों पर बेचे जा रहे बीजों की गुणवत्ता और उनके स्टाक की जांच की गई। कई दुकानदार इसी तरह किसानों के भोलेपन का फायदा उठा लेते हैं। गेहूं की बिजाई का समय बीत रहा है और बिजली की आपूर्ति कम है। ऐसे में किसान न चाहते हुए भी सहकारी समितियों के संचालकों द्वारा दिए जा रहे बीज लेंगे ही। बीज की कमी को पूरा करने की मांग पर वे जाम लगा चुके हैं। कृषि विभाग के अधिकारियों की नींद कब खुलेगी। किसानों के साथ भेदभाव की सूचनाएं भी मिली हैं,क्या उन्हें गंभीरता से लिया गया? विभाग के मुख्य प्रशासक को राज्य की मंडियों का दौरा करके किसानों का हाल लेना चाहिए। यही स्थिति रही तो पैदावार के लक्ष्य कैसे पूरे होंगे।
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