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03 नवंबर 2009

गन्ना किसानों का गुस्सा उफान पर

नई दिल्ली/मुजफ्फरनगर। कीमत को लेकर उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा है। बीती रात शामली में उन्होंने चीनी से लदी एक मालगाड़ी रोक ली। इस ट्रेन में ब्राजील से आयातित करीब 26,000 क्विंटल कच्ची चीनी पड़ी थी। किसान आयातित चीन वापस ले जाने की मांग कर रहे थे। ऐसा न करने पर उन्होंने चीनी में आग लगाने की धमकी भी दी। इस बीच रविवार को गढ़ गंगा में राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन समेत कई किसान संगठनों ने बैठक कर 280 रुपये प्रति क्विंटल से कम कीमत पर गन्ना न बेचने की शपथ ली।पुलिस सूत्रों के मुताबिक भारतीय किसान यूनियन के महासचिव राकेश टिकैत की अगुवाई में यूनियन के सैकड़ों कार्यकर्ता शामली पहुंच गए और चीनी लदी ट्रेन रोक ली। किसान सरकार की गन्ना खरीद नीति का विरोध कर रहे थे। राकेश टिकैत ने कहा कि उत्तर प्रदेश में वह आयातित कच्ची चीनी लाने की इजाजत नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि अगर ब्राजील से मंगाई गई चीनी वापस नहीं ले जाई गई तो इसे आग के हवाल कर दिया जाएगा। यूनियन के कार्यकर्ताओं ने हाईवे पर भी चीनी से लदे कई ट्रक रोके और उनमें आग लगाने की कोशिश की। एक अन्य घटनाक्रम में राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन, भारतीय किसान यूनियन समेत कई किसान संगठनों के नेता और कार्यकर्ता रविवार को गढ़गंगा में जुटे। राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के कन्वीनर वीएम सिंह ने बताया कि वहां सबने गंगाजल लेकर शपथ ली कि गन्ने की कीमत किसान खुद तय करेंगे और 280 रुपये क्विंटल से कम भाव पर गन्ना नहीं बेचेंगे। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में किसी भी कीमत पर कच्ची चीनी की प्रोसेसिंग नहीं होने दी जाएगी। उनके मुताबिक अगर महंगी चीनी का आयात कर भारतीय बाजार में बेचा जा सकता है तो भारतीय किसानों को गन्ने की ज्यादा कीमत क्यों नहीं दी जा सकती। इस बैठक में भारतीय किसान यूनियन के पदाधिकारी नरेश टिकैत भी मौजूद थे।इस बीच ऑल इंडिया किसान सभा ने गन्ने की नई उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) व्यवस्था की तीखी आलोचना की है। किसान सभा ने कहा है कि 22 अक्टूबर के अध्यादेश के जरिए वैधानिक न्यूनतम मूल्य और राज्य परामर्श मूल्य को निष्प्रभावी कर दिया गया है। ऐसा करते समय संसद, राज्य सरकारों और किसान संगठनों, तीनों की अनदेखी की गई। एफआरपी को किसानों के साथ धोखा करार देते हुए किसान सभा ने कहा है कि 129।86 रुपये प्रति क्विंटल की एफआरपी मांगी जा रही कीमत से बहुत कम है। यहां तक कि प्रदेश की चीनी मिलें थोड़े समय पहले तक किसानों को 175 रुपये का भाव दे रही थीं। उत्तर प्रदेश सरकार ने भी 165 रुपये का एसएपी घोषित किया है। इसके बावजूद केंद्र ने एफआरपी 129.86 रुपये तय कर दिया। किसान सभा का कहना है कि सिर्फ सूखे की वजह से उत्पादन आधा नहीं हुआ है। लागत में वृद्धि, फसल की उचित कीमत न मिलना और चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का 11,000 करोड़ रुपये बकाया भी इसके लिए जिम्मेदार है।गन्ना किसान ने की खुदकुशीगन्ने की ज्यादा कीमत मांग रहे किसान अब जान देने पर उतारू हो गए हैं। शनिवार को सहारनपुर में एक किसान ने खुदकुशी कर ली। जिला मजिस्ट्रेट आलोक कुमार ने बताया कि रंगेल गांव के किसान नरेंद्र कुमार ने पहले अपनी गन्ने की फसल को आग लगा दी और उसके बाद खुदकुशी कर ली। जिले के कई और गांवों से किसानों द्वारा अपनी फसल में आग लगाने की खबरें आ रही हैं। (बिज़नस भास्कर)

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