03 नवंबर 2009
पंजाब में हल्की आवक से कपास महंगी
पंजाब की मंडियों में कपास के भाव निचले स्तर से सुधरने लगे हैं। कपास के भाव 2950 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गए हैं। किसानों को उम्मीद है कि इस बार कपास के भाव 3500 रुपये क्विंटल तक पहुंच सकते हैं। मंडियों में कपास की आवक धीमी पड़ने से तेजी को बल मिला है। मंडियों में दैनिक सप्लाई 13,000 गांठ (170 किलो प्रति गांठ) से घटकर 8000 गांठ रह गई हैं। कपास के दाम बढ़ने की उम्मीद किसानों ने बिकवाली घटा दी है। कॉटन कारपोरशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) के पंजाब प्रबंधक आर। सी. सरकार के मुताबिक पंजाब की मंडियों में पिछले साल औसतन 15000 गांठ की दैनिक सप्लाई थी। जबकि इस साल पिछले सप्ताह मंडियों में दैनिक सप्लाई 13000 गांठ कपास की थी। शनिवार व रविवार को मंडियों में 10-10 हजार गांठ कपास पहुंची जबकि सोमवार को आवक घटकर 8000 गांठ रह गई। सीसीआई किसानों से औसतन 2850 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर खरीद कर रही है जबकि खुले बाजार में भाव 2950 रुपये प्रति क्विंटल तक चल रहे हैं। भाव बढ़ने की उम्मीद में स्टॉकिस्टों की मजबूत खरीद चल रही है। जबकि किसानों को बिकवाली धीमी कर दी है। कपास की नई फसल मंडियों में पहुंचने पर शुरू कपास के भाव 2400 से 2500 रुपए क्विंटल तक थे।कारोबारियों के अनुसार इस साल पंजाब में कपास का उत्पादन घट सकता है। पंजाब का कृषि विभाग भी इस बात को स्वीकार कर रहा है कि पंजाब में लीफ कर्ल की बीमारी एवं पौधों का विकास कम होने के चलते उत्पादन में 5 से 10 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है। नॉर्दर्न इंडिया कॉटन डीलर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अशोक कपूर के मुताबिक मिलों को आशंका है कि इस बार कपास का उत्पादन कम रह सकता है। इसके चलते ही इस साल स्टॉकिस्ट ज्यादा खरीदारी कर रहे हैं। हालांकि पंजाब सरकार ने केंद्र को भेजी रिपोर्ट में इस साल 23 लाख गांठ (पिछले साल से थोड़ा ज्यादा) कपास उत्पादन की संभावना व्यक्त की है। इस बार पंजाब में 5.27 लाख हैक्टेयर एरिया में कपास की बुवाई की गई थी। जबकि पिछले साल 5.30 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी। पिछले साल उत्पादन 22.85 लाख गांठ रहा था। कृषि विभाग पंजाब के संयुक्त निदेशक गुरदयाल सिंह के मुताबिक बठिंडा व फिरोजपुर जिलों में मौसम का काफी असर रहा है। तेज गर्मी के चलते कपास के पौधे अच्छी तरह विकसित नहीं हो पाए हैं। इसके अलावा फिरोजपुर जिला के अबोहर व फाजिल्का क्षेत्र में सफेद मक्खी व लीफ कर्ल नामक बीमारी का काफी असर पड़ा। इन इलाकों में पिछले साल उत्पादन 688 किलो प्रति हैक्टेयर था जो इस बार घट कर 670 किलो तक रहने की आशंका है। (बिज़नस भास्कर)
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