नई दिल्ली November 04, 2009
खरीफ की फसलों के उत्पादन में 18 प्रतिशत की गिरावट के अनुमानों के बीच सरकार रबी की फसलों की उपज बढ़ाने की तैयारी में जुटी है।
सरकार का कहना है कि बुआई के क्षेत्रफल में बढ़ोतरी कर रबी की फसल की उत्पादकता में 7 प्रतिशत से ज्यादा (85 लाख टन) की बढ़ोतरी की जा सकती है। पिछले साल रबी में कुल खाद्यान्न उत्पादन 1161.8 लाख टन था।
कृषि मंत्री शरद पवार ने आर्थिक संपादकों की कान्फ्रेंस में कहा, 'आरंभिक अनुमानों के मुताबिक चावल के उत्पादन में 150 लाख टन, मोटे अनाज के उत्पादन में 55 लाख टन, तिलहन उत्पादन में 25 लाख टन की कमी खरीफ सत्र 2009-10 के दौरान आएगी। खरीफ में हुए नुकसान को देखते हुए हमने रबी सत्र में उपज बढ़ाने के लिए कदम उठाए हैं। देर से हुई बारिश से खेतों में नमी है, जिससे रबी की फसलों को लेकर उम्मीद बढ़ी है।'
सरकार गेहूं के उत्पादन में 20 लाख टन की बढ़ोतरी पर काम कर रही है। साथ ही जाड़े के समय में होने वाले बोरो चावल का उत्पादन 10 लाख टन करने और दालों की उपज 10 लाख टन बढ़ाने की तैयारी है। इसके साथ ही तिलहन के उत्पादन में भी 12 लाख टन की बढ़ोतरी का लक्ष्य तय किया गया है। देर से हुई बारिश के चलते इस साल खरीफ की फसल प्रभावित हुई है।
साथ ही बारिश की मात्रा भी विभिन्न इलाकों में असमान रही। देश के ज्यादातर हिस्सों में उपज 7 साल के न्यूनतम स्तर पर रहने का अनुमान लगाया जा रहा है। देश में खरीफ सत्र के दौरान अनाज का उत्पादन पिछले साल के 1177 लाख टन की तुलना में गिरकर 966.3 लाख टन रहने का अनुमान लगाया गया है।
सरकार ने सूखे और बाढ़ के कारण खरीफ के उत्पादन में गिरावट के बीच खाद्य वस्तुओं की कीमतों की महंगाई को लेकर चिंता प्रकट की है। साथ ही उम्मीद जाहिर की कि अगली फसल आने के बाद कीमतों का दबाव कम होगा।
आगामी रबी की फसल मुख्य रूप से मार्च-अप्रैल तक बाजार में आनी शुरू होगी। पवार ने कहा, 'खाद्य सामग्रियों में मुद्रास्फीति चिंता का विषय है तथा इन जिंसों की कीमत में तेजी को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने कई कदम उठाए हैं।' (बीएस हिन्दी)
05 नवंबर 2009
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