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05 नवंबर 2009

मांग की तुलना में रबर उत्पादन कम

कोच्चि November 04, 2009
रबर कारोबार क्षेत्र के अनुमानों के मुताबिक भारत में 2014-15 तक प्राकृतिक रबर की किल्लत हो सकती है। रबर उत्पादन की विकास दर की धीमी गति और घरेलू खपत में तेज बढ़ोतरी के चलते यह अनुमान लगाया जा रहा है।
कारोबारियों के अनुमानों के मुताबिक भारत में 2015 में सालाना 12 लाख टन के करीब रबर की जरूरत होगी, जबकि उत्पादन में बढ़ोतरी के बाद भी अधिकतम उत्पादन 10 लाख टन रहेगा, क्योंकि वर्तमान उत्पादन में वृध्दि दर के आंकड़ों से यही संकेत मिलता है।
2008-09 के दौरान देश में उत्पादन में 4.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई और कुल उत्पादन 8,64,500 टन रहा। वहीं इस दौरान खपत में 1.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई और यह 8,71,720 टन हो गया। खपत, उत्पादन की तुलना में ज्यादा है और ऐसी स्थिति पिछले कई साल से है।
आयात के माध्यम से शेष जरूरत को पूरा किया जाता है। आगामी 5-6 साल में उत्पादन में बढ़ोतरी की औसत दर 3.5-4 प्रतिशत रहने का अनुमान है। चालू वित्त वर्ष के अप्रैल-अगस्त के दौरान उत्पादन में बढ़त नकारात्मक (-13.3 प्रतिशत) रही और कुल उत्पादन 2,73,575 टन रहा। वहीं इस दौरान खपत 2.1 प्रतिशत बढ़क र 3,76,350 टन पर पहुंच गई।
अप्रैल-सितंबर के दौरान उत्पादन में 12.4 प्रतिशत की गिरावट आई , वहीं खपत में 2.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। उम्मीद की जा रही है कि पहली छमाही में उत्पादन में आई गिरावट से हुए नुकसान की भरपाई दूसरी छमाही में हो जाएगी और वार्षिक वृध्दि दर 3.5-4 प्रतिशत पर आ जाएगी। अभी खपत, उत्पादन की तुलना में ज्यादा है और आने वाले दिनों में यह अंतर और बढ़ने की उम्मीद है।
अनुमान लगाया जा रहा है कि 2020 तक भारत में प्राकृतिक रबर की कुल जरूरत 20 लाख टन होगी। उत्पादन में वृध्दि दर कम होने की प्रमुख वजह यह है कि परंपरागत रूप से रबर की खेती करने वाले राज्यों, जैसे केरल में रबर की रोपाई के क्षेत्रफल में बढ़ोतरी बहुत धीमी है। खेत कम होने के सात ही नई फसलों का रोपण भी बहुत कम हो रहा है।
इस स्थिति को देखते हुए रबर बोर्ड पूर्वोत्तर राज्यों में रबर उत्पादन की संभावनाएं तलाश रहा है। केरल की तुलना में पूर्वोत्तर में उत्पादकता कम होती है, जो एक गंभीर विषय है। 2008-09 के अनुमानों के मुताबिक रबर की खेती का कुल क्षेत्रफल 662,000 हेक्टेयर रहा, जिसमें 4.2 प्रतिशत की वार्षिक बढ़ोतरी हुई है।
प्रति हेक्टेयर वार्षिक उत्पादकता 1867 किलो है। वहीं पूर्वोत्तर में प्रति हेक्टेयर उत्पादकता 1000 किलो है। इस तरह से देखें तो 2015 की मांग को पूरी करने के मुताबिक रबर की उत्पादन क्षमता में विस्तार नहीं हो रहा है। (बीएस हिन्दी)

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