06 नवंबर 2009
सरकारी आंकड़ों में भी दिखी महंगाई की सही तस्वीर
अभी तक महंगाई को आम लोगों के साथ-साथ सरकार भी महसूस कर रही थी, लेकिन सरकारी आंकड़ों में यह बात झलकती नहीं थी। लेकिन कीमतों पर नजर रखने की सरकार ने जो नई व्यवस्था बनाई है उसमें महंगाई की सही तस्वीर दिखेगी। महंगाई मापने के नए तरीके का इस्तेमाल करने के पहले हफ्ते ही देश में खाद्य पदार्थो की महंगाई दर 13.39 फीसदी के स्तर पर रही। यह आंकड़ा 24 अक्टूबर को समाप्त हुए सप्ताह का है। इससे एक सप्ताह पहले पुराने तरीके से मापे गए थोक मूल्य सूचकांक में महंगाई दर सिर्फ 1.51 फीसदी थी। अर्थशास्त्री भी मानते हैं कि नए तरीके से अर्थव्यवस्था में महंगाई की साफ तस्वीर दिखेगी। सबसे बड़ी बात, इन आंकड़ों से यह पता चलेगा कि आम जनता किस तरह महंगाई से त्रस्त है।सरकार ने हाल ही में महंगाई दर को मापने के तरीके में बदलाव किया है। इसके मुताबिक अब महंगाई दर के आंकड़े महीने में एक बार जारी किए जाएंगे। वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक महीने में एक बार थोक मूल्य सूचकांक के आंकड़े जारी करने से आंकड़ों को बेहतर तरीके से एकत्र करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा आंकड़े ज्यादा सटीक होंगे। हालांकि खाद्य वस्तुओं और पेट्रोलियम पदार्थो की कीमतों के आंकड़े पहले की ही तरह हर हफ्ते जारी किए जाएंगे। सभी जिंसों को शामिल करते हुए अक्टूबर महीने के महंगाई के आंकड़े 12 नवंबर को जारी किए जाएंगे।गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक प्याज़ की कीमत में सबसे ज्यादा 49.9 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। दालों और सब्जियों की कीमतों में 12 फीसदी का इजाफा हुआ है।नई प्रणाली के तहत जारी आंकड़ों पर प्रतिक्रिया देते हुए अर्थशास्त्री सिद्धार्थ शंकर ने कहा कि ये सच्चाई के काफी करीब हैं। उन्होंने योजना आयोग के उस दावे को भी खारिज कर दिया जिसमें जल्द ही खाद्य पदाथरें की कीमतों में कमी की बात कही गई थी। उन्होंने कहा कि सरकार को आपूर्ति पर ध्यान देना होगा। जब तक पर्याप्त आपूर्ति नहीं होगी, तब तक महंगाई पर नियंत्रण मुश्किल है। महंगाई की वजह से अर्थव्यवस्था की गति पर भी नकारात्मक असर पड़ेगा।अर्थशास्त्री अरूप मित्रा ने भी कहा कि महंगाई दर के ताजा आंकड़े सच्चाई के काफी नजदीक हैं। इसके अलावा यह आंकड़े इशारा करते हैं कि महंगाई की स्थिति काफी गंभीर है। सरकार को इसके लिए त्वरित कदम उठाने चाहिए। नए आंकड़े महंगाई को दो अंकों में दिखा रहे हैं, जो गंभीर स्थिति है। फिक्की के आर्थिक सलाहकार अंजन मित्रा का कहना है कि खाद्य पदाथरें पर जारी किए गए नए आंकड़े वास्तविक महंगाई के काफी करीब हैं। इन आंकड़ों से साफ है कि आम आदमी महंगाई को किस तरह झेल रहा है। (बिज़नस भास्कर)
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