राजकोट November 09, 2009
चालू साल में मूंगफली तेल के उत्पादन में 60 प्रतिशत की गिरावट के आसार हैं। इसकी दो वजह मानी जा रही है।
मूंगफली के उत्पादन में कमी और खाद्य तेल बनाने के बजाय अन्य रूप में मूंगफली का प्रयोग। बहरहाल, इससे मूंगफली तेल की कीमतों पर कोई प्रभाव पड़ने की उम्मीद नहीं है, क्योंकि अन्य खाद्य तेल जैसे पाम, सोया, कपास आदि का तेल पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (एसईए) के आंकड़ों के मुताबिक पेराई के लिए इस साल कुल 4.4 लाख टन मूंगफली उपलब्ध होगी, जो पिछले साल 10.5 लाख टन थी। इसे देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि घरेलू खपत के लिए खरीफ मौसम में 1.8 लाख टन मूंगफली तेल होगा, जो पिछले साल 4.2 लाख टन था।
इन आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि मूंगफली तेल की उपलब्धता में 60 प्रतिशत की गिरावट आएगी। एसईए का अनुमान है कि देश में खरीफ के मौसम में 32.9 लाख टन मूंगफली का उत्पादन होगा, जिसमें गुजरात की हिस्सेदारी 13.8 लाख टन होगी। पिछले साल 42.2 लाख टन मूंगफली का उत्पादन हुआ था, जिसमें गुजरात की हिस्सेदारी 19 लाख टन थी।
सौराष्ट्र के मिल मालिक बालवंत्री कामदार ने कहा, 'पेराई कम रहने के बाद भी कीमतों में बढ़ोतरी की उम्मीद नहीं है। इस समय ज्यादा लोग कपास तेल, पाम आल और सोया तेल का प्रयोग कर रहे हैं। इससे सिर्फ मिलर्स को समस्या होगी। कीमतें तभी बढ़ सकती हैं, जब त्योहारी मौसम में मांग बढ़ेगी।'
पिछले 3-4 साल से मूंगफली तेल की खपत में कमी आ रही है। एंजल कमोडिटीज के रिसर्च एनलिस्ट बदरुद्दीन खान ने कहा, 'अन्य खाद्य तेल पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं और इससे मूंगफली के तेल की कीमतों पर लगाम लगी रहेगी, जिसका प्रयोग ज्यादातर गुजरात में होता है।'
इस समय मूंगफली तेल की कीमतें 640 से 645 रुपये प्रति 10 किलो हैं। आने वाले दिनों में इसकी आवक प्रतिदिन 1।25 लाख बोरी ( प्रत्येक में 50 किलो) हो जाएगी। बाजार सूत्रों के मुताबिक कीमतें 600-620 रुपये प्रति 10 किलो के बीच में स्थिर हो जाएंगी। (बीएस हिन्दी)
10 नवंबर 2009
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