बेंगलुरु November 03, 2009
उत्तरी कर्नाटक में भारी बारिश और उसके बाद आई बाढ़ से 66,022 हेक्टेयर जमीन पर हाल ही में लगी गन्ने की फसल को काफी नुकसान हुआ है।
राज्य के कृषि विभाग द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण के मुताबिक बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में क्षतिग्रस्त फसल की प्रति हेक्टेयर पैदावार लगभग आधी होकर 45 फीसदी के करीब रहेगी। सर्वेक्षण के मुताबिक फसल का नुकसान 500 करोड़ रुपये से ज्यादा होने के अनुमान हैं।
चीनी उद्योग के सूत्रों का ऐसा अनुमान है कि उत्तरी कर्नाटक में फिलहाल औसतन 1,800 रुपये प्रति टन का भुगतान किया जाता है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में औसतन प्रति हेक्टेयर 45 टन गन्ने का उत्पादन होगा, इससे आर्थिक नुकसान लगभग 500 करोड़ रुपये है। उत्तरी कर्नाटक में औसत पैदावार प्रति हेक्टेयर 90 टन है।
मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए गन्ने की फसल का नुकसान महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां का उद्योग लगातार दूसरे साल भी गन्ने की कमी से जूझ रहा है। हालांकि कुछ क्षेत्रों में फिर से गन्ने की रोपाई की जरूरत है और पेराई के लिए गन्ने की फसल अक्टूबर 2010 से शुरू होने वाले अगले चीनी सीजन के लिए मौजूद होंगे।
इस खरीफ सीजन के दौरान राज्य में गन्ने की रोपाई लगभग 373,000 हेक्टेयर भूमि पर कराई गई है। हालांकि पूरे साल के लिए कृषि विभाग ने 400,000 हेक्टेयर का कुल लक्ष्य रखा है जो पिछले साल की तुलना में 11 फीसदी कम है।
हालांकि इस साल फसल का क्षेत्र पिछले साल की तुलना में मामूली रूप से 4.3 फीसदी की बढ़त के साथ 290,000 हेक्टेयर है। विभाग का ऐसा अनुमान है कि इस साल गन्ने का कुल उत्पादन 2.34 करोड़ टन है जो पिछले साल के बराबर है। इसमें से 25 फीसदी गुड़ के उत्पादन के लिए चला जाएगा।
वहीं मिल लगभग 1.7 करोड़ टन की उम्मीद कर रहे हैं। अब तक 20 मिलों ने मौजूदा सीजन के लिए गन्ने की पेराई शुरू की है। बेलगाम, बागलकोट और बीजापुर जैसे जिलों में फसलों का सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। बेलगाम में 43,000 हेक्टेयर भूमि पर फसल को नुकसान हुआ है।
वहीं बागलकोट के 15,000 हेक्टेयर में नुकसान हुआ है और बिजापुर जिले के 4,000 हेक्टेयर जमीन का नुकसान हुआ है। इस बीच राज्य कृषि विभाग ने राज्य में गन्ने के उत्पादन को बढ़ाने के लिए महत्वकांक्षी योजना को शुरू किया है।
फिलहाल गन्ने की पैदावार को प्रति हेक्टेयर 100 टन तक बढ़ाने और राज्य के मौजूदा उत्पादन में 10 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी का लक्ष्य है। विभाग गन्ना विकास कार्यक्रम के तहत कुछ चुनिंदा जिलों में मौजूदा साल के दौरान 3.18 करोड़ रुपये की लागत से एक पायलट प्रोजेक्ट चला रहा है।
इस कार्यक्रम के तहत किसानों को गन्ने की खेती के गुर सिखाए जाएंगे। इसमें यह बताया जाएगा कि ज्यादा पैदावार देने वाली बीजों की किस्मों का इस्तेमाल करना चाहिए, इसके अलावा रोपाई के दौरान पर्याप्त जगह भी देना चाहिए। इसके अलावा जैविक खाद, जैविक कीटनाशक दवाएं और सूक्ष्म पोषक तत्वों का इस्तेमाल करना चाहिए। यह विभाग प्रति हेक्टेयर 15,000 रुपये की सब्सिडी मुहैया कराएगा। (बीएस हिन्दी)
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