मुंबई November 05, 2009
सोने के दाम बढ़ने से पुराने सोने, जिसे जिंस बाजार की भाषा में 'स्क्रैप गोल्ड' कहा जाता है, की बिक्री में 25-30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
विश्लेषकों द्वारा कीमतों में गिरावट की भविष्यवाणी को ध्यान में रख कर खुदरा निवेशकों ने ऊंची कीमतों पर नकदी हासिल करने में दिलचस्पी दिखाई है। आमतौर पर आभूषण विक्रेता प्रत्येक 100 ग्राम सोने की बिक्री पर 25-30 ग्राम पुराना सोना प्राप्त करते हैं।
हालांकि कीमती धातु की कीमतों के मामले में पुराने सोने की प्राप्ति बढ़ी है। जवेरी बाजार में बुधवार को स्टैंडर्ड सोने ने एक और रिकॉर्ड बनाया। सोना पूर्ववर्ती दिन के 16240 रुपये प्रति ग्राम से बढ़ कर 16,630 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया जो 2.40 फीसदी की बढ़त है।
इसी तरह शुद्ध सोना अपने पूर्ववर्ती स्तर 16,325 रुपये प्रति 10 ग्राम की तुलना में बुधवार को 390 रुपये उछल कर 16,715 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया। एक व्यापारी ने बताया, 'आज हमने लगभग 6 किलोग्राम सोना जुटाया जो पहले 3.5-4 किलोग्राम प्रतिदिन के स्तर पर था।'
हालांकि एनआईबीआर बुलियन के हरमेश अरोड़ा का कहना है कि स्क्रैप यानी पुराने सोने में रिकवरी के स्वरूप में प्रभाव 2-3 दिन के बाद दिखाई देगा जब दूर-दराज के ग्राहक ऊंची कीमतों के बारे में जानेंगे। सामान्यत: दूर-दराज के गांवों से बड़ी तादाद में खुदरा निवेशक रियल एस्टेट आदि जैसी अन्य संपत्तियों में पैसा लगाने के लिए सोना बेचने के लिए आते हैं।
चूंकि रियल एस्टेट को संघर्ष करना पड़ रहा है, इसलिए सोने के निवेशकों ने अच्छी आमदनी की संभावनाओं के लिए रियल एस्टेट में निवेश के लिए इस मूल्यवान धातु की बिक्री करने से परहेज किया है। ऑल इंडिया जेम्स ऐंड ज्वेलरी ट्रेड फेडरेशन के पूर्व चेयरमैन अशोक मीनावाला ने कहा कि मौजूदा समय में उपभोक्ता भविष्य में कीमतों में बढ़ोतरी की संभावना के साथ अपने स्टॉक को बनाए रखे हुए हैं।
भारत कीमत संवेदनशील स्वर्ण खपत वाला देश है। हालांकि भारत दुनिया का सबसे बड़ा स्वर्ण उपभोक्ता देश है और कोई भी मूल्य वृद्धि उपभोक्ताओं के रुझान को बुरी तरह प्रभावित करती है। लंदन स्थित मेटल कंसल्टेंसी फर्म गोल्ड फील्ड्स मिनरल सर्विसेज (अब जीएफएमएस) ने हाल में ही पाया था कि वैश्विक रूप से स्क्रैप की रिकवरी चालू वर्ष की पहली छमाही के दौरान 900 टन की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई थी।
पुराने सोने की बिक्री में बढ़ोतरी मुख्यत: पहली तिमाही के कारोबार से संबद्ध थी जिसमें यह साल दर साल 58 फीसदी तक बढ़ा। हालांकि दूसरी तिमाही में स्क्रैप की उपलब्धता घट कर महज 13 फीसदी तक रह गई। कंसल्टेंसी फर्म का कहना है कि दूसरी तिमाही में कारोबार की मात्रा सोने की कीमतों में बढ़त की संभावना के अभाव की वजह से घट गई थी और वास्तविकता यह है कि ज्यादातर आपूर्ति पहली तिमाही में ही हुई थी।
वैश्विक स्क्रैप की कुल बिक्री में भारत का योगदान लगभग 25 फीसदी है। हालांकि स्क्रैप की बिक्री में कमी की वजह यह भी है कि उपभोक्ता पिछले महीने 15,500 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर सोने की बड़े पैमाने पर बिक्री कर चुके हैं।
विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूजीसी) के प्रबंध निदेशक अजय मित्रा ने हाल में ही कहा था, 'उपभोक्ताओं के पास बिक्री के लिए ज्यादा सोना नहीं बचा है और अगर है भी तो वे इस कीमती धातु को रोक कर रखना पसंद कर रहे हैं।'
एक अनुमान के मुताबिक भारतीय उपभोक्ताओं के पास 20-000-25,000 टन सोना है। लेकिन यह सब बाजार में बिक्री के लिए नहीं है। हालांकि जरूरत के आधार पर और मुनाफा कमाने वाले उपभोक्ता इस कीमत स्तर पर भी इसे बेच रहे हैं। (बीएस हिन्दी)
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