कुल पेज दृश्य

04 जून 2009

अब सरकारी राहत की दरकार

कोलकाता June 03, 2009
निर्यात में चौंका देने वाली कमी को देखते हुए जेम्स ऐंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी) ने सरकार से अनुरोध किया है कि विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड) में काम कर रही इकाइयों को घरेलू कर क्षेत्र (डीटीए) में कार्यरत जौहरियों के लिए काम करने की अनुमति दी जाए।
जीजेईपीसी के पूर्वी क्षेत्र के चेयरमैन पंकज पारेख ने कहा कि भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय से काउंसिल ने अनुरोध किया है कि 6 महीनों के लिए सेज नियमों में ढील दी जानी चाहिए। वर्तमान में सेज इकाइयों को जेम्स ऐंड ज्वेलरी की अन्य इकाइयों से अलग, निर्यात के लिए काम कराने की अनुमति है।
डीटीए निर्यातकों की ओर से, तैयार माल उपलब्ध कराया जाता है, जो सेज इकाइयों से सीधे निर्यात किया जाता है। इस तरह के निर्यात पर डीटीए इकाइयां निर्माण पर लगे करों से छूट पा जाती हैं। इसके साथ ही सेज इकाइयां अपने उत्पादन या उत्पादन प्रक्रिया के कुछ हिस्से का काम डीटीए इकाइयों को ठेके पर दे सकती हैं, इसके लिए उत्पाद शुल्क विभाग से अनुमति लेनी होती है।
ध्यातव्य है कि ज्यादातर जौहरी, जिनकी इकाइयां सेज में हैं, वे डीटीए में भी काम करते हैं। अगर मांगी गई छूट मिल जाती है तो वे सेज के इन्फ्रास्ट्रक्चर का प्रयोग अपनी इकाइयों के लिए कर सकते हैं, खासकर घरेलू बाजार में काम करने के लिए।
रत्न एवं आभूषण क्षेत्र के कारोबार में 2007 के बाद से उल्लेखनीय गिरावट आई, क्योंकि अमेरिका को निर्यात किए जाने वाले आभूषणों पर मिलने वाली 6 प्रतिशत कर छूट को हटा दिया गया था। इस पर आर्थिक मंदी का भी प्रभाव साफ नजर आया।
परिणामस्वरूप 2006 में भारत से अमेरिका को किया जाने वाला 36 प्रतिशत रत्न और आभूषण का कारोबार 2009 में गिरकर 20 प्रतिशत रह गया। 2008-09 में संयुक्त अरब अमीरात, भारत से रत्न और आभूषणों का सबसे बड़ा आयातक रहा, जिसकी हिस्सेदारी 31 प्रतिशत रही।
कुल निर्यात का 25 प्रतिशत मंगाकर हांगकांग, दूसरा बड़ा आयातक रहा। भारत के कुल निर्यात में रत्न और आभूषण कारोबार की हिस्सेदारी 13 प्रतिशत है। अप्रैल 2009 तक देश से कुल 114.9 करोड़ डॉलर का रत्न एवं आभूषण का निर्यात किया गया, जबकि पिछले साल कुल निर्यात 174.0 करोड़ डॉलर का था। इस हिसाब से निर्यात में 34 प्रतिशत की गिरावट आई।
पारेख ने कहा कि मुंबई स्थित सेज में काम करने वाली 30 प्रतिशत इकाइयां बंद हैं, जबकि 70 प्रतिशत इकाइयों ने कर्मचारी कम किए हैं। कोलकाता स्थित सेह में भी कुछ इकाइयों पर ताला लग चुका है। कोलकाता के कारोबारी बीसी सेन ने कहा कि मई महीने में भी निर्यात में कमी आई है, इसके साथ ही घरेलू खपत भी कम हुई है। (BS Hindi)

कोई टिप्पणी नहीं: