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04 जून 2009

महंगाई ने घटाई सोने की मांग

मुंबई June 03, 2009
सोने की आसमान छूती कीमतों की वजह से लोगों का सोने की ज्वैलरी से मोह भंग होता जा रहा है।
सोने की ऊंची कीमत के चलते जिन लोगों को ज्वैलरी लेने की जरुरत भी पड़ रही है उनमें से ज्यादातर लोग पुराने गहनों के बदले ज्वेलरी ले रहे हैं। ज्वेलरी उद्योग में मांग न होने की वजह से सोने का आयात भी पिछले महीने की अपेक्षा आधा रहा गया है।
सोने की ज्वेलरी की जगह लोग, कृतिम आभूषण पहन कर काम चला रहे हैं। देश में सोने के आभूषणों के सबसे बड़े बाजार झावेरी बाजार में ग्राहकों के इंतजार में बैठे दुकानदारों के चेहरे की गायब मुस्कान बताती है कि धंधा पूरी तरह से मंदा हो चुका है।
मई महीने में सोने की ज्वेलरी की मांग में पिछले महीने की अपेक्षा करीबन 30-40 फीसदी की कमी आई है। ज्वेलरी की मांग में कमी की वजह से ही सोने का आयात जो पिछले महीने करीबन 30 टन था, अब 50 फीसदी कम हो कर 15 टन ही बचा है।
सोना कारोबारी जैन कुमार के अनुसार अप्रैल में शादी, त्योहार का सीजन तो था, लेकिन खरीदारी की सबसे बड़ी वजह रही सोने की कीमतों में हुई थोड़ी गिरावट। लेकिन पिछले कुछ दिनों में सोना और महंगा हुआ है।
इसके अलावा लंबे समय से सुस्त पड़े शेयर बाजारों में एक बार फिर से रौनक दिखाई देने लगी है जिसके चलते जो लोग सोने में निवेश कर रहे थे वह भी अब अपना पैसा सोने से निकाल कर शेयर बाजार की तरफ वापस जाने लगे हैं।
शेयरखान ब्रोकिंग के कमोडिटी हेड प्रवीण कुमार कहते हैं कि सोना में निवेश करने वालों को घाटा नहीं होगा, चाहे वह सोने के किसी भी रुप में निवेश करें। लेकिन फायदे पर फर्क जरुर रहेगा। बाजार विशेषज्ञों की लाख दलीलें सुनने के बाद भी लोग इस समय सोना खरीदने से ज्यादा बेचना पसंद कर रहे हैं।
इसकी वजह चेनाजी नरसीजी धीरज जैन फर्म के धीरज जैन कहते हैं कि सोने की कीमतें वास्ताविकता से ज्यादा पहुंच चुकी हैं, जिसकी कोई ठोस वजह लोगों को समझ में नहीं आ रही है। इसलिए लोग सोना बेचना चाहते हैं।
बांबे बुलियन एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश हुंडिया के अनुसार अनुसार लोग सोना से पैसा निकाल करके शेयर बाजार में लगा रहे है। जब तक मांग में तेजी नहीं आएगी तब तक आयात परं फर्क आएगा। कीमतें अगर स्थिर भी हो जाएं तो भी लोगों का रुझान घरेलू बाजार में सोने की तरफ बढ़ जाएगा।
बुलियन मार्केट के आंकड़ों के अनुसार मुंबई में ज्वेलरी की एक दिन की बिक्री 40 करोड़ रुपये के आसपास की होती है लेकिन इस समय यह घटकर सिर्फ 10-15 करोड़ रुपये की रह गई है। दूसरी ओर बांबे बुलियन एसोसिएशन से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2008 में कुल 402 टन सोने का आयात किया गया। (BS Hindi)

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