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04 जून 2009

लौह अयस्क की कीमतों पर चीन ही लगाएगा मुहर

June 03, 2009
लौह अयस्क के लिए एक बेंचमार्क की व्यवस्था के दिन क्या लद गए हैं।
रियो टिंटो ने जापान की स्टील निर्माताओं के साथ मौजूदा सीजन जो अप्रैल में शुरू हो रहा है उसके लिए लौह अयस्क चूर्ण की कीमतों में 33 फीसदी की कटौती से इनकार कर दिया है। इससे यह साफ संकेत मिलता है कि आम सहमति के साथ तय की गई कीमतों के खिलाफ फिलहाल रुख बन रहा है।
वैश्विक आर्थिक मंदी के मद्देनजर स्टील की कीमतें आधी होने के बाद पिछले सीजन में लौह अयस्क की कीमतों का बेंचमार्क पूरी तरह से अप्रासंगिक हो गया और स्टील निर्माताओं का रुझान ज्यादा से ज्यादा हाजिर बाजार की ओर हो गया।
हाजिर बाजार की ओर रुझान होने की वजह कच्चे माल के तात्कालिक और भविष्य की जरूरतों को पूरा करना है। खदान समूहों को इस वास्तविकता से भी रूबरू होना होगा कि विनिर्माण और ऑटो श्रेणी के स्टील की मांग में जबरदस्त गिरावट हुई है।
आर्सेलर मित्तल और बाकी कंपनियों ने भी अपने उत्पादन में 30 से 50 फीसदी के बीच कटौती की है। वर्ष 2009 में जापान में स्टील उत्पादन में 42.9 फीसदी तक की गिरावट आई और यह 1.76 करोड़ टन हो गया। इसके बावजूद जापान ने रियो टिंटो के साथ समझौता किया।
वहीं चीन ने खदार्नकत्ताओं पर लौह चूर्ण की कीमतों में 40 फीसदी तक की कटौती करने के लिए दबाव बनाया है। चाइना आयरल ऐंड स्टील एसोसिएशन (सीआईएसए) जो देश के बड़े मिलों की ओर से लौह अयस्क की कीमतों के लिए बातचीत कर रही है, उसकी कोशिश कीमतों में 50 फीसदी तक की कमी करने की है।
ऐसे में सवाल है कि क्या खदानकर्ताओं द्वारा निप्पन स्टील, जेएफई और सुमीतोमो मेटल पर दबाव बनाया गया या फिर उनकी कोशिश है कि बातचीत के मंच से चीन को हटा दिया जाए। जापान के स्टील निर्माता ज्यादा लंबा इंतजार नहीं करना चाहते थे, क्योंकि चीन और खदानकर्ताओं के बीच की लड़ाई खत्म होती नहीं दिख रही है।
जापानियों को अपना बजट तय करने के लिए अयस्क की अनुबंध कीमतों के बारे में जानना जरूरी है। अब रियो के साथ समझौता हो जाने के बाद वे स्टील की कीमतों के मुद्दे को अपने ग्राहकों के लिए सुलझा सकते हैं। पोस्को ने बेंचमार्क की कीमतों में 33 फीसदी कटौती की बात को स्वीकारा है जो बेहद आश्चर्यजनक नहीं है।
जब तक चीन बोर्ड तक नहीं आती तब तक रियो और जापानी समूह के बीच बेंचमार्क कीमतों को लेकर कोई समझौता नहीं हो सकता है। चीन मौजूदा समय में दुनिया के लौह अयस्क उत्पादन के आधे हिस्से का इस्तेमाल करती है।
फेडरेशन ऑफ इंडियन मिनरल इंडस्ट्रीज के महानिदेशक आर के शर्मा का कहना है कि ऐसे में रणनीतिक रूप से वैश्विक खदान समूहों और भारत के लिए चीन का बाजार बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि इस देश में 10 करोड़ टन लौह अयस्क के आउटलेट हैं। चीन अपने कच्चे स्टील के उत्पादन में मामूली बढ़ोतरी कर सकती है हालांकि वर्ष 2009 की पहली तिमाही में उत्पादन 12.74 करोड़ टन था।
उस वक्त दुनिया के स्टील उत्पादन में 22.8 फीसदी तक गिरावट हुई थी और यह 26.37 करोड़ टन हो गया। हमारे देश के उत्पादन में 7.9 फीसदी तक की गिरावट हुई थी और यह 1.32 करोड़ टन हो गया। लेकिन चीन पर स्टील उत्पादन की लागत में कटौती का दबाव बढ़ता ही गया क्योंकि यहां के 48 उत्पादर्नकत्ताओं को पहली तिमाही में 4.35 अरब युआन का नुकसान हुआ।
चीन ने इस साल अप्रैल तक 18.85 करोड़ टन खनिज का आयात किया है, इस तरह उसमें एक साल पहले के मुकाबले 22.9 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई। देश के पास लगभग 8 करोड़ टन के लौह अयस्क का भंडार है। इसीलिए आने वाले हफ्तों में आयात की रफ्तार कम हो जाएगी।
चीन एक महत्वपूर्ण कारक होने के साथ ही दुनिया में स्टील के कम उत्पादन के साथ ही रियो, बीएचपी बिलिटन और वेल ने बड़े खदानों के विस्तार का कार्यक्रम जिसे उन्होंने अच्छे समय में लॉन्च किया था वह पूरा हो गया है। ऐसे में लौह अयस्क की भरपूर आपूर्ति होगी जिससे कीमतों में गिरावट ही हो सकती है।
चीन के साथ खदान समूहों के बीच मोल-तोल में एक कमी जरूरी है कि घरेलू अयस्क के उत्पादन में तेजी से गिरावट हुई है। चीन के अयस्क भंडार में लोहे की मात्रा कम होती है लेकिन उसमें सिलिका और अल्यूमिना की मात्रा ज्यादा होती है। इसी वजह से चीन के अयस्क उत्पादन की लागत बहुत ज्यादा होती है।
इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि लौह अयस्क की कीमतों में हाल की भारी गिरावट की वजह से ही चीन के लगभग आधे खदान बंद होने की कगार पर आ गए हैं। इसी वजह से यहां ज्यादा लौह अयस्कों का आयात भी किया जा रहा है। सीआईएस को आखिर क्यों बेंचमार्क समझौते पर मुहर लगानी चाहिए जिससे चीन की हाजिर कीमतों के मुताबिक रियो को एक टन अयस्क देने पर 5 डॉलर प्रीमियम देता है।
चीन के पास दो विकल्प है कि या तो यह लंबे समय की आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए बेंचमार्क व्यवस्था के साथ जाए या फिर यह हाजिर कारोबार के पक्ष में जाए जिसमें बाजार धारणा दिखाई देती है।
जिंसों में सामान्य तेजी से ही रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ोतरी नहीं हो सकती है जैसा कि वर्ष 2002 के दौरान अयस्क की कीमतों में जबरदस्त उछाल आया। पिछले साल भी 96 फीसदी तक का उछाल आया जब तक की चीन का आयात समान अवधि में ही चौगुना नहीं हो गया। (BS Hindi)

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