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04 जून 2009

ज्वैलरी शो के गले में अटका नॉन वेज

मुंबई June 02, 2009
भारतीय रत्न और आभूषण कारोबार की चमक फैलाने के लिए आयोजित होने वाला इंडिया इंटरनैशरल ज्वैलरी शो शुरू होने से पहले ही विवादों में फंसता नजर आ रहा है।
कहीं भोजन का मसला आयोजक रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्द्धन परिषद (जीजेईपीसी) के गले में फंस रहा है तो कहीं भारी भरकम प्रवेश शुल्क की वजह से इसकी चमक फीकी पड़ने की आशंका पैदा हो गई है।
जीजेईपीसी ने विदेशी कारोबारियों के लिए इस बार मांसाहार की व्यवस्था की है। इसके विरोध में जैन समुदाय के कारोबारी शो के बहिष्कार की धमकी दे रहे हैं। हीरा कारोबारियों में 80 फीसदी जैन समुदाय से हैं। मुंबई में 6 से 10 अगस्त तक होने वाले इस शो में 1,500 से ज्यादा हीरा कंपनियों के स्टॉल लगेंगे, जिनमें 100 के करीब स्टॉल विदेशी कंपनियों के होंगे।
इनमें पश्चिम और दक्षिण एशिया के सभी प्रमुख देशों की बड़ी कंपनियां होंगी। वहां आम तौर पर मांसाहार किया जाता है, इसी वजह से इस बार मांसाहार के स्टॉल लगाने की अनुमति भी दे दी गई है। लेकिन कारोबारी इस पर बिफर पड़े हैं।
इंडियन कैपिटल के प्रबंध निदेशक संजय शाह कहते हैं कि शो में चाइनीज, मैक्सिकन, इतालवी और थाई व्यंजन हो सकते हैं, लेकिन मांस से बने व्यंजन नहीं। लक्ष्मी डायमंड के अशोक गाजेरा मानते हैं कि विदेशी मांसाहार पसंद करते हैं, लेकिन उनके मुताबिक धर्म से समझौता नहीं किया जा सकता।
सेजल एक्सपोट्र्स के चेयरमैन चंदू भाई समेत तकरीबन 400 छोटी-बड़ी कंपनियों के प्रमुख मांसाहार परोसने पर शो और जीजेईपीसी के बहिष्कार का ऐलान कर चुके हैं। हालांकि जीजेईपीसी के चेयरमैन वसंत भाई मेहता के मुताबिक मंदी में भी विदेशी कारोबारी भारत आ जाएं, यही सोचकर मांसाहार की व्यवस्था कराई गई है।
लेकिन कारोबारियों के विरोध की वजह से ये स्टॉल हटाने का फैसला कर लिया गया है। मुश्किल यहीं तक नहीं है। प्रवेश शुल्क का मसला भी सामने आ रहा है। विदेशों में कमोबेश सभी शो में प्रवेश मुफ्त होता है। लेकिन जीजेईपीसी प्रवेश के नाम पर भारी भरकम राशि वसूलती है। ऐसे में छोटे कारोबारियों के लिए इस शो का कोई मतलब ही नहीं रह जाता।
हीरा बाजार के जानकारा हार्दिक हुंडिया कहते हैं कि जीजेईपीसी कारोबारियों के विकास या मंदी में कारोबार बचाने के बारे में नहीं सोचती। इसकी जगह वह अपने फायदे की ही सोचती है। इन वजहों से इस शो के फ्लॉप होने का खतरा पैदा हो गया है। हालांकि इसका आयोजन जरूरी है क्योंकि जीजेईपीसी के अनुसार पिछले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही रत्न और आभूषण के निर्यात में पिछले साल की अपेक्षा 18.88 फीसदी की कमी रही। (BS Hindi)

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