09 जून 2009
गेहूं-चावल की एमएसपी में कटौती, गन्ना, दालों पर हो सकती है मेहरबानी
नई दिल्ली- केंद्र सरकार गेहूं और चावल के लिए न्यूनतम समर्थन कीमतों को स्थिर रखने या इनमें मामूली बढ़ोतरी ही करने की व्यवस्था शुरू कर सकती है। इस व्यवस्था के तहत गेहूं और चावल को छोड़कर गन्ना, तिलहन और दालों के एमएसपी बढ़ाए जा सकते हैं। इस तरह नई व्यवस्था में सरकार गेहूं और चावल की पिछले पांच साल से चल रही ज्यादा एमएसपी को रोककर दालों, गन्ने और तिलहन को ज्यादा प्रोत्साहन देना चाहती है जिनकी कीमतें इस दौरान स्थिर रही हैं। दालों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ने के आसार लग रहे हैं क्योंकि खाद्य मंत्रालय दालों को सार्वजनिक वितरण तंत्र (पीडीएस) के तहत लाने पर विचार कर रहा है ताकि जरूरतमंदों को प्रोटीन मुहैया कराई जा सके। खरीफ सीजन में फसलों की बुआई का वक्त जुलाई में आने वाला है इसके बावजूद सरकार ने अभी तक इन फसलों के लिए एमएसपी का एलान नहीं किया है। केंद्र को खरीफ फसलों की बुआई शुरू होने से पहले जून में हर हाल में इन फसलों के लिए एमएसपी का एलान कर देना चाहिए ताकि किसानों के पास बोई जाने वाली फसलों के लिए बेहतर और लाभदायक विकल्प मौजूद रहें। मई में कृषि मंत्रालय को एमएसपी पर कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिशें मिल चुकी हैं। इस बात में कोई आश्चर्य नहीं है कि किसानों के तमाम संगठनों की ओर से सरकार से इस बात की लगातार मांग की जा रही है कि वह जुलाई में फसलों की बुआई के अहम वक्त से कम से कम एक महीने पहले इनकी एमएसपी का एलान कर दे। कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ईटी को बताया, 'सीएसीपी की दी गई सिफारिशों पर मई में आम चुनाव की वजह से विचार नहीं किया जा सकता था।' गौरतलब है कि सीएसीपी अमूमन अपनी सिफारिशें मार्च या अप्रैल की शुरुआत तक सरकार के पास जमा करा देता है। लगातार दो साल से ऊंची एमएसपी की वजह से देश में गेहूं और चावल का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है। इस वजह से सरकार के गोदाम गेहूं और चावल से पूरी तरह से भरे हुए हैं। इस वक्त सरकार के पास करीब पांच करोड़ टन खाद्यान्न का भंडार मौजूद है। यह भारतीय खाद्य निगम की कुल भंडारण क्षमता से करीब दोगुना है। 18 मई तक सरकार पिछले साल के मुकाबले 19 फीसदी ज्यादा चावल की खरीद कर चुकी है यानी चावल की सरकारी खरीद 288.18 लाख टन पर पहुंच चुकी है, साथ ही गेहूं की खरीद भी 221 लाख टन के रिकॉर्ड स्तर पर जा चुकी है। दूसरी ओर, देश में चीनी की कीमतें 30 रुपए के ऊंचे स्तर पर चली गई हैं। इस वजह से सरकार को चीनी के वायदा कारोबार पर रोक लगाने और इसके शुल्क मुक्त आयात की मंजूरी देने जैसे कदम उठाने पड़े हैं। (ET Hindi)
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