कोच्चि June 04, 2009
कर्नाटक और तमिलनाडु के इलायची उत्पादक इलाकों में बारिश न होने की वजह से अगले फसली मौसम में उत्पादन कम होने की आशंका है।
इस साल फसल की मड़ाई में 3-4 सप्ताह की देरी हो सकती है, क्योंकि इलायची उत्पादक इडुक्की जिले में सूखे जैस हालत हैं। इलायची उत्पादक संघ (सीजीए) के अध्यक्ष केएम मिशेल ने कहा कि इसकी फसल मड़ाई का काम अगस्त में शुरू पाएगा, फसल सितंबर में ही बाजार में आ पाएगी।
सामान्यतया जुलाई के मध्य में नई इलायची की आवक होती है। उत्पादकों का अनुमान है कि उत्पादन में इस साल 20-30 प्रतिशत की कमी आएगी, क्योंकि मई महीने में गर्मी बहुत ज्यादा रही। इस फसल का औसत वार्षिक उत्पादन 11,000-12,000 टन है।
गर्मी की वजह से फसलों की रोपाई पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है और गर्मी के मौसम में फसलों को बचाने के लिए बारिश जरूरी होती है। इससे यह संकेत मिलता है कि उत्पादन में कमी आएगी। सामान्यतया मई महीने में हल्की बारिष हो जाती है, जो इलायची की फसल के लिए जीवन रेखा का काम करती है।
लेकिन इस साल मई महीने के दौरान बहुत कम फुहार पड़ी। इस समय केरल में मानसून सक्रिय है, जहां इलायची की खेती होती है। इलायची की फसल के लिए समय से बारिश बहुत जरूरी है। इडुक्की जिले के विभिन्न उत्पादक इलाकों में फुहारें पड़ीं, लेकिन पर्याप्त बारिश नहीं हुई, जिससे गर्मी की भयावहता से छुटकारा मिल सके।
अगर एक सप्ताह के भीतर बारिश हो जाती है तो उत्पादन बढ़ जाएगा। बहरहाल, इलायची की औसत कीमत 650-700 रुपये प्रति किलो है और बाजार में इसका स्टॉक भी सीमित है। बेहतर कीमतें मिलने से किसान भी अपना पुराना स्टॉक निकाल रहे हैं। पिछले साल के दौरान इसकी औसत कीमत 500 रुपये प्रति किलो रही थी। (BS Hindi)
05 जून 2009
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