मुंबई June 01, 2009
जिंस कारोबार में कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। चालू कैलेंडर वर्ष के पहले 5 महीनों के दौरान तमाम जिंसों की कीमतें तो 25-60 प्रतिशत तक बढ़ गई हैं।
इसका प्रमुख कारण यह है कि चीन रणनीति बनाकर खरीदारी कर रहा है। हेज फंड और संस्थागत निवेशक जिंस कारोबार में बड़े पैमाने पर वापस लौट आए हैं। जिंस के कारोबार में लंबी अवधि के सौदे जुलाई 2008 के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए हैं।
कच्चे तेल की कीमतें बढ़त बनाने हुए इस साल के उच्चतम स्तर, 68 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गईं। वहीं सोना भी इस साल के उच्चतम स्तर, 1000 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गया। तांबे और सीसे की कीमतों में चालू कैलेंडर वर्ष में 60 प्रतिशत से भी अधिक की बढ़ोतरी हुई है।
धातुओं जैसे जिंस और यहां तक कि कृषि जिंसों की भी मांग अप्रैल माह के दौरान चीन में बनी रही। चालू कैलेंडर वर्ष के दौरान वह जिंसों का बड़ा आयातक बना रहा। मांग बहुत ज्यादा थी, इसके चलते मालभाड़े का ड्राई बाल्टिक इंडेक्स भी चढ़ता गया और यह दिसंबर के 663 अंकों से बढ़कर अब 3496 अंकों पर पहुंच गया। इसमें चीन की मांग ने अहम भूमिका निभाई।
एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसी के वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि अमेरिकी मुद्रा कमजोर हो रही है और चीन को बहुत ज्यादा एक्सपोजर मिल रहा है, जिसके पास बड़ी मात्रा में अमेरिकी डॉलर रिजर्व है। वह इस मुद्रा को जिंसों को एकत्र करने में लगा रहा है।
इसके साथ ही हेज फंड और संस्थागत निवेशक भी बड़े पैमाने पर जिंस बाजार में आए। बर्कलेज कमोडिटी रिसर्चके मुताबिक, हेज फंज का जिंस कारोबार में एक्सपोजर तेजी से बढ़ा है। ऐसा पिछले कुछ सप्ताह के दौरान हुआ है।
अमेरिका के वायदा बाजार नियामक, सीएफटीसी के आंकड़ों के मुताबिक उन्होंने लंबी अवधि क ी पोजिशन ली है। अमेरिका के जिंस वायदा बाजार में जुलाई 2008 के बाद जबरदस्त बढ़त हुई है।
ओपन इंट्रेस्ट के प्रतिशत के लिहाज से पिछले 10 महीने की सबसे अधिक बढ़त 12 प्रतिशत रही है। बर्कलेज का कहना है कि न केवल हेज फंड, संस्थागत निवेशकों, सावरेन वेल्थ फंड और संपत्ति प्रबंधकों ने जिंसों की ओर रुख किया है। (BS Hindi)
03 जून 2009
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