कोलकाता June 02, 2009
कंसल्टेंसी की बड़ी फर्म एएफ फर्ग्युसन ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट में अनुसंशा की है कि स्टॉक मार्केट की तरह ही चाय की नीलामी में भी जोखिम कम करने की व्यवस्था होनी चाहिए।
भारतीय चाय बोर्ड ने फर्ग्युसन को इस कार्य के लिए नियुक्त किया था कि चाय की नीलामी की व्यवस्था में सुधार के लिए एक मॉडल तैयार करे। जोखिम कम करने वाले दो मॉडल पेश किए- कैश ऐंड कै री और पेमेंट गारंटी मॉडल।
जब यह मॉडल लागू किया जाएगा तो ब्रोकरों या नीलामी करने वालों को दो खाते अलग-अलग रखने होंगे। एक उनके कारोबार के लिए होगा और एक बोली लगाने के लिए। उन्हें पूंजी की उपलब्धता के मानकों का भी पालन करना पड़ेगाऔर उन्हें बोली लगाने लिए उतना धन भी दिखाना होगा, जितने के लिए वे बोली लगा रहे हैं।
इसके अलावा मार्जिन मनी भी होगी, जिसे नीलामी में भाग लेने वालों को जमा करनी होगी। कंसल्टेंट ने यह भी अनुसंशा की है कि नीलामी केंद्र अलग से या सामूहिक रूप से क्लीयरिंग हाउस के अंतर्गत काम करेंगे, जिससे बैंक उनका प्रबंधन कर सकें। क्लीयरिंग कार्पोरेशंस यह देखेंगे कि नीलामी का काम सुचारु रूप से चल रहा है।
फर्ग्युसन के मुताबिक भुगतान गारंटी ब्रोकर या खरीदार द्वारा उपलब्ध कराई गई गारंटी के मुताबिक होगी। इसके अलावा सेटलमेंट गारंटी फंड (एसजीएफ) और बीमा कवर भी होगा, जो भुगतान गारंटी के लिए कार्य करेगा। एसजीएफ स्टॉक मार्केट के कारोबार के लिए जरूरी होता है।
ज्यादातर कमोडिटी एक्सचेंजों और कारोबार व्यवस्था में एक्सचेंज गारंटी के क्लियरिंग हाउस दोनों पक्षों के लेनदेन को देखते हैं। इसके लिए विशेष उद्देश्य एसजीएफ और बीमा कवर की सुरक्षा, विक्रेता को मिली रहती है, जो उसे खरीदार के भुगतान न करने की स्थिति में संरक्षण प्रदान करते हैं।
फर्ग्युसन ने अपनी अनुसंशा में कहा है कि एसजीएफ मॉडल अधिकतर नीलामी केंद्रो पर लागू किया गया है, जहां इलेक्ट्रॉनिक बोली की व्यवस्था की गई है। बहरहाल यह नीलामी का काम करने वाले हिस्सेदारों की इच्छा पर निर्भर करता है कि वे लेन-देन आधारित पूंजी का प्रबंध करें।
इस समय ई-नीलामी की व्यवस्था कुन्नूर, कोयंबटूर, गुवाहाटी और कोलकाता में लागू है। वाणिज्य मंत्रालय चाहता है कि ई-नीलामी के माध्यम से 100 प्रतिशत कारोबार हो। इसे कई चरणों में किया जाना है। उदाहरण के लिए कोलकाता में डस्ट वेराइटी की बिक्री ई-नीलामी 16 जून से अनिवार्य किया गया है, वहीं अन्य किस्मों के लिए यह व्यवस्था बाद में लागू की जानी है।
जब तक ई-नीलामी और इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग व्यवस्था लागू नहीं हो जाती, फर्ग्युसन ने अनुसंशा की है कि कैश ऐंड कैरी की व्यवस्था ही जोखिम टालने के लिए बेहतर है। कैश ऐंड कैरी की व्यवस्था कैरिट मोरन संकट के बाद से ही पेश किया गया है। कैरिट मोरन के मामले में ब्रोकर्स, खरीदारों को भुगतान करने में सक्षम नहीं हुए थे।
चाय बोर्ड के सूत्रों ने कहा कि फर्ग्युसन रिपोर्ट सभी हिस्सेदारों को उनकी प्रतिक्रिया के लिए दे दी गई है, उसके बाद ही ड्राफ्ट रिपोर्ट तैयार की जाएगी। ड्राफ्ट रिपोर्ट पर चाय बोर्ड की राय के बाद ही इस रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया जाएगा।
इस समय 7 नीलामी केंद्र कार्यरत हैं। तीन उत्तर भारत (कोलकाता, गुवाहाटी और सिलीगुड़ी) में, चौथा जलपाईगुड़ी में (यह वर्तमान में नहीं काम कर रहा है), और 4 दक्षिण भारत (2 कुन्नूर और एक-एक कोयंबटूर और कोचीन) में हैं। (BS Hindi)
03 जून 2009
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें