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08 जून 2009

टायर उद्योग ने की सरकार से कर छूट की मांग

कोलकाता June 07, 2009
ऑटोमोटिव टायर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एटीएमए) ने घरेलू मांग को पूरा करने के लिए कच्चे माल पर उत्पाद शुल्क में छूट दिए जाने और प्राकृतिक रबर पर कर कम किए जाने की मांग की है।
अपोलो टायर्स लिमिटेड के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक ओंकार एस कंवर ने एटीएमए के प्रतिनिधि के रूप में पिछले सप्ताह वित्त मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात की।
बजट पूर्व विचार विमर्श की प्रक्रिया के तहत उद्योग के इस संगठन ने प्राकृतिक रबर के उत्पाद शुल्क को 10 प्रतिशत कम किए जाने की मांग की, जो वर्तमान में 20 प्रतिशत है। इसके साथ ही टायरों के आयात पर 20 प्रतिशत संरक्षण शुल्क लगाए जाने की मांग की है, जिससे सस्ते चीनी आयात से बचा जा सके।
कुल आयात में चीन और कोरिया की हिस्सेजारी 80 प्रतिशत है, जिस पर एशिया पैसिफिक ट्रेड एग्रीमेंट के तहत 8.6 प्रतिशत कर लिया जाता है। इसके साथ ही एटीएमए ने कच्चे माल पर उत्पाद शुल्क कम किए जाने की भी मांग की जाती है, जिसका घरेलू विनिर्माण नहीं होता है। इसमें ब्यूटायल रबर, पॉलिस्टर टायर कॉर्ड, स्टायरिन ब्यूटाडाइन रबर (टायर ग्रेड), क्लोरोब्यूटायल या ब्रोमो ब्यूटायल रबर शामिल है।
एसबीआर पर वर्तमान में 10 प्रतिशत कर लगता है, वहीं अन्य श्रेणी के कच्चे माल पर 5 प्रतिशत कर लगता है। विश्लेषकों का कहना है कि टायर उद्योग कच्चे माल पर आधारित उद्योग है, जिसमें कुल उत्पादन खर्च में करीब 62 प्रतिशत हिस्सा कच्चे माल का होता है। उत्पादन और मुख्य कच्चे माल के घरेलू मांग में कमी का प्रतिशत 17 से 60 है।
पिछले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही के दौरान कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी से कुल मुनाफे पर विपरीत प्रभाव पड़ा। कंवर ने कहा, 'कुल बिक्री के लिहाज से टायर की प्रमुख 5 कंपनियों के शुध्द मुनाफा 2008-09 में घटकर 0.96 प्रतिशत रह गया है, जबकि 2007-08 में यह मुनाफा 4.84 प्रतिशत था।'
पिछले 3 महीने में प्राकृतिक रबर की कीमतों में करीब 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जो मार्च के शुरू में 70 रुपये प्रति किलो से बढ़कर वर्तमान में 100 रुपये प्रति किलो हो गया है। घरेलू रबर की कीमतें, अंतरराष्ट्रीय बाजार में रबर की कीमतों की तुलना में 15-20 प्रतिशत ज्यादा है। एटीएमए का दावा है कि अगर इसमें 1 रुपये प्रति किलो की बढ़ोतरी होती है तो टायर क्षेत्र पर 50 करोड़ रुपये वार्षिक का अतिरिक्त भार पड़ता है।
व्यावसायिक वाहन- ट्रक और बसों के टायरों की मांग में कमी आई है और इसकी बिक्री 2008-09 में 2 प्रतिशत घटी है। यात्री वाहनों के सेग्मेंट में फ्लैट 1 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इस उद्योग के कुल कारोबार में बस और ट्रकों के टायरों की बिक्री के कारोबार का हिस्सा 60 प्रतिशत से ज्यादा है।
एटीएमए के डॉयरेक्टर जनरल राजीव बुधिराजा ने कहा, 'निर्यात के मोर्चे पर देखें तो ट्रक और बसों के टायरों के निर्यात में पिछले वित्त वर्ष के दौरान 20 प्रतिशत की कमी आई है। इसके साथ ही यात्री कार के टायरों के निर्यात में 10 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।'
भारतीय निर्यातकों को चीन से सीधी प्रतिस्पर्धा करनी पड़ रही है। बुधिराजा ने कहा कि चीन की उत्पादन क्षमता इस समय अतिरिक्त हो गई है। उनके अमेरिकी निर्यात में करीब 50-60 प्रतिशत की कमी आई है और वे अब कीमतें कम करने को तैयार बैठे हैं। (BS Hindi)

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