कोच्चि June 07, 2009
प्राकृतिक रबर के निर्यात के मोर्चे पर भारत की स्थिति उतनी बेहतर नहीं है क्योंकि हाल के महीनों में भारत और वैश्विक बाजार की कीमतों में बहुत अंतर आया है।
हाल के रबर बोर्ड के ताजा अनुमान के मुताबिक इस मई में कुल निर्यात महज 94 टन था इसकी वजह से भारत प्राकृतिक रबर के वैश्विक कारोबार से बिल्कुल अलग सा हो गया।
अप्रैल और मई की अवधि के दौरान कुल निर्यात को जबरदस्त झटका लगा क्योंकि वर्ष 2008-09 के मुकाबले निर्यात में लगभग 88 फीसदी तक की गिरावट आई। इन दो महीनों के दौरान 818 टन का ही निर्यात किया गया जबकि पिछले वित्तीय वर्ष की समान अवधि में 6849 टन का निर्यात किया गया था।
भारत और वैश्विक बाजार में मौजूदा कीमतों में बहुत ज्यादा अंतर की वजह से ही निर्यात बेहद मुश्किल हो गया है। जानकारों का कहना है कि अगर यही स्थिति बनी रही तो रबर का निर्यात न के बराबर हो सकता है।
आरएसएस-4 श्रेणी की कीमत लगभग 100 रुपये है जबकि वैश्विक कीमत 82 रुपये प्रति किलोग्राम है, इस तरह पिछले 12 हफ्ते की अवधि में कोच्चि और बैंकॉक कीमत में औसतन 18-20 रुपये प्रति किलो का अंतर है।
ऐसी आशंका जताई जा रही है कि वर्ष 2008-09 के 45,538 टन के मुकाबले मौजूदा वित्तीय वर्ष में कम से कम 10,000 टन का निर्यात करने में काफी दिक्कत आएगी। वर्ष 2007-08 में कुल निर्यात 60,353 टन था।
कीमतों में अंतर का असर अप्रैल-मई अवधि के दौरान आयात पर भी पड़ा। इस साल आयात 24,743 टन था जबकि पिछले साल 14,341 टन। इस तरह इसमें 75 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई। इस मई में ही केवल 14,322 टन प्राकृतिक रबर का आयात अग्रिम लाइसेंस स्कीम के तहत किया गया क्योंकि यह स्थानीय बाजारों से खरीदारी के मुकाबले ज्यादा मुनाफादायक है। (BS Hindi)
08 जून 2009
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