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08 जून 2009

सोया खली निर्यात में उछाल की उम्मीद

मुंबई June 07, 2009
भारत के सोया खली निर्यात में एक बार फिर से जबरदस्त उछाल आने की संभावनाएं बढ़ रही हैं। इसकी वजह यह है कि सोयाखली की आपूर्ति करने वाले देशों भारत और चीन के बीच कीमतों का अंतर अब कम हो रहा है।
भारत में सोयाखली का कारोबार 450 डॉलर प्रति टन हो रहा था जबकि हाल तक इसके पड़ोसी देशों में कारोबार 400 डॉलर प्रति टन के हिसाब से हो रहा था। नतीजतन भारत से होने वाली मांग कम होने लगी जबकि चीन से मांग बढ़ी है। इसकी वजह भारत में कीमतों में 50 डॉलर प्रति टन तक की तेजी थी।
कोरिया, ताइवान, जापान, थाईलैंड, दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों और इंडोनेशिया में निर्यातित सामान की लागत लगभग 475 डॉलर प्रति टन तक आती है। कुछ दिनों पहले तक भारत में आखिरी सौदे 455 डॉलर प्रति टन के हिसाब से किए गए जो लगभग 23,000 रुपये प्रति टन थे।
सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसओपीए) के कोऑर्डिनेटर और प्रवक्ता राजेश अग्रवाल का कहना है, 'भारत से दक्षिणी अमेरिकी देशों में निर्यात के लिए 20-30 दिन तक का समय लगता है जबकि चीन से 45 दिन लगता है। ऐसी संभावना है कि भारत से आयात करने वाले पूराने आयातकों का आकर्षण एक बार फिर से भारत के लिए बढ़ जाए।'
इसके अलावा खली की आपूर्ति भी आने वाले महीनों में बढ़ने की पूरी संभावना है क्योंकि किसानों ने अपने स्टॉक को पेराई के लिए मिलों को देना शुरू कर दिया है। सोयाखली सोया तेल का ही एक उत्पाद है जो सोयाबीन की आपूर्ति में इजाफा होने से खली की उपलब्धता में भी बढ़ोतरी होगी।
हाल के महीने में भारत से खली की कम आपूर्ति की आशंका के मद्देनजर परंपरागत आयातकों ने चीन को ऑर्डर देना शुरू कर दिया। परिणामत: भारत को दिए जाने वाले निर्यात ऑर्डर पूरी तरह से खत्म हो गए क्योंकि इस पर चीन का दबदबा कायम हो गया।
अग्रवाल का कहना है कि अब किसानों ने मिलों को पेराई के लिए सोयाबीन की आपूर्ति करानी शुरू कर दी है ऐसे में खली की आपूर्ति बेहद आसान हो जाएगी। इससे निर्यात ऑर्डर भी मिलने लगेंगे। इसी बीच भारत के तेलखली निर्यात में 70.92 फीसदी तक की कमी आई जो मई में 89,156 टन हो गया।
पिछले साल इसी महीने में निर्यात 306, 615 टन था। अप्रैल के निर्यात में 84.75 फीसदी तक की गिरावट आई और यह 83894 टन हो गया जो पिछले साल के समान महीने में 550,180 टन था।
मौजूदा वित्तीय वर्ष के पहले दो महीनों के दौरान निर्यात 1.7 लाख टन हो गया और इसमें लगभग 80 फीसदी तक की गिरावट आई। मौजूदा तेल वर्ष में निर्यात में गिरावट की रफ्तार अब थोड़ी कम हो गई है और यह 32.5 फीसदी है।
एसओपीए के आंकड़ों की मानें तो सोयाबीन की कुल आवक में अप्रैल महीने में 1.90 लाख टन तक की बढ़ोतरी हुई है जो पिछले साल समान महीने में 0.86 लाख टन थी। हालांकि अप्रैल से पहले यह 1.54 लाख टन था।
उम्मीद है कि मई के दौरान मंद सीजन के बावजूद सोयाबीन की आवक पिछले साल के 1.35 लाख टन की तुलना में ज्यादा यानी 1.50 लाख टन तक हो सकती है। किसान फिलहाल सोयाबीन की बुआई के लिए बारिश का इंतजार कर रहे हैं। देश में सोयाबीन के रकबे में बढ़ोतरी हो सकती है। (BS Hindi)

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