मुंबई May 31, 2009
कौशक कुचरू बेहद आश्वस्त से दिखते हैं। उन्हें यह लगता है कि आखिरकार नौवहन उद्योग के खराब दिन अब खत्म हो गए।
मर्केटर लाइन्स जो देश की सबसे बड़ी ड्राई बल्क कैरियर है उसके उपाध्यक्ष का कहना है, 'हमारा परिचालन अब मुनाफादायक बन गया है और वास्तव में अब कंपनी नए पोतों की खरीदारी करना चाहती है।'
कुचरू की उम्मीदें दो वजहों से हैं। पहली बात यह है कि ड्राई बल्क कैरियर्स के मालभाड़े की दरों के लिए बने वैश्विक बेंचमार्क बाल्टिक ड्राई इंडेक्स में 96 फीसदी का मुनाफा हुआ और मई में 3494 हो गया। इसकी वजह यह थी कि चीन में ब्राजील से सस्ते लौह अयस्क का आयात हुआ।
दूसरी बात यह भी है कि जब मालभाड़ा दरों में उछाल आई तभी इत्तेफाक से नए बने पोत की कीमतों में भी गिरावट हो गई। एक साल पहले इन पोतों की कीमत 16 करोड़ डॉलर थी जो अब 6-7 करोड़ डॉलर पर मौजूद है।
शुक्रवार को अटलांटिक और प्रशांत महासागर के रास्ते के लिए नए बडें ज़हाजों की मालभाड़े की दर, एक साल के अनुबंध के लिए 27,000 डॉलर प्रति दिन है जो दिसंबर में 2,000 डॉलर थी। कुचरू का कहना है कि नए जहाजों के बड़े-बड़े पोत की ब्रेक इवन दर लगभग 24,000 डॉलर प्रति दिन है जो दरें दिसंबर में 2,000 डॉलर प्रति दिन थीं।
कुचरू का कहना है, 'हमें पूरा यकीन है कि बुरे दिन अब बीत चुके हैं।' कंपनी के पास 12 ड्राई बल्क कैरियर का एक बेड़ा है और 9 टैंकर है जिसमें से 70 फीसदी का अनुबंध लंबी अवधि के लिए हो चुका है। दूसरे भी इस बात पर सहमत दिखते हैं।
देश के सबसे बड़े समुद्री जहाज, भारतीय नौवहन निगम (एससीआई) बल्क कैरियर और टैंकर के निदेशक एस नायर का कहना है, 'उम्मीद है कि आने वाले महीनों में भारत और चीन में इस तरह के जहाजों की मांग बढ़ेगी।' नौवहन उद्योग में सुधार से शेयर बाजार में भी चमक दिखी है।
नए मालभाड़े की दरों से मई में मर्केटर लाइन्स के शेयरों में 85 फीसदी तक की बढ़त हुई और यह बंबई स्टॉक एक्सचेंज पर 63.40 रुपये हो गए। इसी महीने में संवेदी सूचकांक को 28.2 फीसदी की बढ़त मिली। मई में एससीआई के शेयरों में 66.7 फीसदी की बढ़त हुई और इसके एक शेयर की कीमत 155 रुपये हो गई।
एस्सार शिपिंग के आठ बड़े ड्राई बल्क कैरियर वाले बेड़े जो लगभग 26 हैं उनके शेयर में भी 74.6 फीसदी की बढ़त हुई और यह 72.90 रुपये हो गया। ग्रेट ईस्टर्न शिपिंग के पास 31 टैंकर और 7 ड्राई बल्क कैरियर हैं जिसमें 38 फीसदी तक की बढ़त हुई और इसी समान अवधि में यह 205 रुपया हो गया। बाल्टिक इंडेक्स की रिकवरी बेहद शानदार रही।
सूचकांक ने पिछले साल 20 मई को अब तक के सबसे ऊंचे स्तर 11,793 अंक को छू लिया उसके बाद वैश्विक मंदी के साथ ही इसका आधार खिसकने लगा। इसने दिसंबर में 22 साल के सबसे निचले स्तर 663 अंक को छू लिया क्योंकि स्टील निर्माताओं ने उत्पादन में कटौती करनी शुरू कर दी।
दुनिया की सबसे बड़ी स्टील निर्माता कंपनी आर्सेलर मित्तल ने भी इस अवधि में जहाज के खेप भेजने के अनुबंध को स्थगित कर दिया। फरवरी से सूचकांक में सुधार की गुंजाइश बनने लगी क्योंकि चीन के स्टील उत्पादकों ने वित्तीय वर्ष के अंत से पहले लौह अयस्क का भंडारण करना शुरू कर दिया था।
अप्रैल में मंदी का थोड़ा असर जरूर देखने को मिला जब सूचकांक 7 अप्रैल को नीचे खिसकर 1,463 अंक तक पहुंच गया हालांकि अप्रैल के अंत तक इसमें सुधार आया और यह 1,773 अंक पर पहुंच गया। (BS Hindi)
01 जून 2009
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