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05 जून 2009

धान उत्पादन बढ़ाने के लिए नाबार्ड की एसआरआई योजना

लखनऊ June 04, 2009
नैशनल बैंक फार एग्रीकल्चर ऐंड रूरल डेवलपमेंट (नाबार्ड) उत्तर प्रदेश में धान की उत्पादकता बढ़ाने के लिए एक परियोजना पर काम कर रहा है।
उसकी सिस्टमेटिक राइस इंटेंसीफिकेशन (एसआरआई) तकनीक से धान की उत्पादकता बढ़ाने की कोशिश चल रही है। इस परियोजना का लक्ष्य है कि धान की फसल की उत्पादकता बढ़ाई जाए, जिससे कम उत्पादकता की वजह से होने वाले खाद्यान्न संकट से बचा जा सके।
परंपरागत तरीके से धान की फसल तैयार करने की तुलना में एसआरआई में कम लागत आती है। जिन किसानों ने इस तकनीक को अपनाया है, उनके धान की उत्पादकता में 25 से 60 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इसके साथ ही कृ षि लागत में भी 40-50 प्रतिशत की कमी आई है।
नाबार्ड के उत्तर प्रदेश क्षेत्र के मुख्य महाप्रबंधक डीपी मिश्र ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि एसआरआई में छोटे पौधों की रोपाई और रोपाई के समय जड़ों को खराब होने से रोकने जैसी तमाम तकनीकें अपनाई जाती हैं।
इसमें सबसे खास बात यह है कि धान की पौध की संख्या 50-200 प्रति वर्गमीटर से कम होकर 16-25 पौध प्रति वर्गमीटर हो गई है। इसकी वजह से धान के पौधे की जड़ों को विकसित होने और सूर्य के प्रकाश मिलने में सहूलियत होती है।
एसआरआई को उत्तर प्रदेश में बढ़ावा देने के लिए नाबार्ड ने मुरादाबाद के प्रथम बैंक से समझौता किया है। एसआरआई में धान कती फसलों को पानी दिया जाता है, लेकिन नियंत्रित मात्रा में और जरूरतों के मुताबिक दिया जाता है। इसके साथ ही मिट्टी का परीक्षण कर उसकी जरूरत के मुताबिक आर्गेनिक या इनआर्गेनिक खाद डाली जाती है। (BS Hindi)

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