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05 जून 2009

उत्पादन कम होने से विदेश नहीं जा सकेंगे उप्र के दशहरी आम

लखनऊ June 04, 2009
जून की शुरुआत होने के बाद भी उत्तर प्रदेश के बाजारों से मशहूर दशहरी आम गायब है।
बीते पचास सालों में इस बार दशहरी की सबसे खराब फसल हुई है, जिसके चलते इसकी मिठास इस बार सात समुंदर के पार नहीं जा सकेगी। मलिहाबाद और फैजाबाद के दशहरी उत्पादकों का कहना है कि इस बार फसल सात जून से पहले बाजारों में नहीं आ सकेगी।
फसल के देर से आने का एक बड़ा कारण आम के पेड़ों में कीट लग जाना और पकने के ऐन पहले तेज आंधी का आना बताया जा रहा है। इस समय प्रदेश में महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश का आम बाजार में बिक रहा है।
राष्ट्रीय मैंगो ग्रोवर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष शेख इंसराम अली का कहना है कि इस साल प्रदेश में कुल 4 लाख टन आम होने का अनुमान है। उनका कहना है कि बीते साल उत्तर प्रदेश में 30 लाख टन आम की पैदावार हुई थी। प्रदेश से दशहरी और चौसा आम की खेप खाड़ी देशों, मलेशिया और सिंगापुर को भेजी गई थी।
इस साल पैदावार कम होने के चलते किसी भी आम के व्यापारी ने विदेशों से आर्डर लेने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है। इंसराम अली का कहना है कि दशहरी और चौसा की फसल इस बार घरेलू बाजार की मांग पूरा न कर सकेगी, ऐसे में विदेश भेजने का कोई सवाल ही नही है। उनका कहना है कि आम इस बार लोकल मंडी में ही खपाया जाएगा।
मलिहाबाद के आम उत्पादक अखिलेश सिंह ने बिजनेस स्टैडर्ड को बताया कि बाजार में फिलहाल सफेदा, हापुस और बादाम किस्म के आम बिक रहे हैं। उनका कहना है कि किसी भी किस्म का आम 50 रुपये किलो से नीचे नहीं मिल रहा है। दशहरी के दाम भी किसी कीमत पर 40 रुपये से नीचे जाने की आशा नही है।
दशहरी आम के बाजार आने में जहां एक सप्ताह की देर है, वहीं लंगड़ा एक पखवारे में और चौसा आम जुलाई में आने की आशा है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में एक दर्जन के लगभग फल पट्टी क्षेत्र हैं जिनमें 400 अलग-अलग किस्मों के आम की पैदावार होती है।
दशहरी और अन्य आम के व्यापारियों को इस साल आम की पैकिंग किए जाने वाली पेटी के दाम बढ़ने से भी खासी परेशानी हो रही है। ज्यादा चलन में आने वाली लकड़ी की पेटी 12 रुपये की मिल रही है जबकि बीते साल इसकी कीमत 9 रुपये चल रही थी।
आम उत्पादकों का कहना है कि पेटी के दाम बढ़ने से भी कीमत में बढ़त होगी। हालांकि आम उत्पादकों के लिए कम कीमत पर गत्ते की पेटियां उपलब्ध है पर बाहर के प्रदेशों में माल भेजने के लिए व्यापारी ज्यादातर लकड़ी की पेटी का ही इस्तेमाल करते हैं जिनके दामों में तेजी आई है। (BS Hindi)

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