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09 जून 2009

खली निर्यात में भारी गिरावट

मुंबई June 08, 2009
भारत के खली निर्यात में इस साल मई माह में 63.75 प्रतिशत की गिरावट आई है। इसकी प्रमुख वजह घरेलू बाजार में खली की उपलब्धता में कमी और वैश्विक मूल्यों में तेजी को माना जा रहा है।
मुंबई स्थित सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (एसईए) के आंकड़ों के मुताबिक मई महीने में कुल निर्यात गिरकर 1.78 लाख टन रह गया है, जबकि पिछले साल मई महीने में 4.92 लाख टन खली का निर्यात हुआ था।
निर्यात बाजार में देश के खराब प्रदर्शन के पीछे एक वजह यह भी रही कि पेराई के लिए सोयाबीन की कमी थी। विश्लेषकों की राय है कि कीमतों में बढ़ोतरी की उम्मीद से किसानों ने माल रोक रखा है। जब से सोयाबीन की कीमतों पर दबाव बनना शुरू हुआ है और वर्तमान सत्र में बुआई के क्षेत्रफल में बढ़ोतरी और मौसम अनुकूल रहने की खबर आई है, किसानों ने अपना माल बेचना शुरू कर दिया है।
एसईए के कार्यकारी निदेशक बीवी मेहता का मानना है कि आने वाले महीनों में भारत का खली निर्यात एक बार फिर रफ्तार पकड़ लेगा। बहरहाल इस वित्त वर्ष के पहले दो महीनों के दौरान खली के कुल निर्यात में 63.38 प्रतिशत की कमी आई है। पिछले साल के इन दो महीनों में हुए 11.38 लाख टन निर्यात की तुलना में इस साल मात्र 4.17 लाख टन खली का निर्यात हुआ है।
जनवरी 2009 से खली के निर्यात में लगातार गिरावट आ रही है। इसकी प्रमुख वजह यह है कि मांस के उत्पादन में कमी आई है और आंशिक रूप से खली के वैकल्पिक चारे का इस्तेमाल बढ़ा है। कुछ एशियाई देशों में लाइवस्टॉक इंडस्ट्री कारोबार संकट के दौर से गुजर रहा है, जिसकी वजह से सोया खली और अन्य खली की मांग कम हुई है और भारत से होने वाले निर्यात में कमी आई है।
इस कैलेंडर वर्ष के दौरान अब तक कुल लदान 17.69 लाख टन रहा, जबकि पिछले कैलेंडर वर्ष की समान अवधि में 35.95 लाख टन खली का निर्यात हुआ था। सोया खली के वैश्विक उत्पादन में 2008-09 के दौरान 4 प्रतिशत या 68 लाख टन की कमी आई है। सोयाखली की आपूर्ति में कमी की वजह से खली के बाजार में तेजी है।
अर्जेंटीना में सोयाबीन का उत्पादन अप्रत्याशित रूप से कम हुआ है और पिछले साल के 462 लाख टन से गिरकर इस साल उत्पादन 327 लाख टन रह गया। इसके साथ ही ब्राजील, पेरुग्वे और अन्य दक्षिण अमेरिकी देशों में भी उत्पादन में कमी आई। (BS Hindi)

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