06 जून 2009
खाद्य तेलों का उठान न होने से सरसों में तेजी की उम्मीद कम
तेल में मांग कमजोर होने के कारण सरसों के भावों में तेजी नहीं आ पा रही है। राजस्थान की मंडियों में कंडीशन की सरसों के भाव 2450 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं। हाजिर बाजार में तेजी न आने के कारण वायदा बाजार में भी नरमी देखी जा रही है। पिछले एक महीने में एनसीडीईएक्स पर जुलाई महीने के वायदा अनुबंध में करीब 3.4 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। चालू तेल वर्ष के पहले छह महीनों में देश में खाद्य तेलों के आयात में 64 फीसदी की भारी बढ़ोतरी हुई है। जबकि रबी सीजन में देश में सरसों की पैदावार में बढ़ोतरी हुई थी। ऐसे में सरसों के मौजूदा भावों में 25-50 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी तो आ सकती है लेकिन भारी तेजी की संभावना नहीं है।आवक और भावसरसों व्यापारी निरंजन लाल ने बताया कि राजस्थान की उत्पादक मंडियों में सरसों की दैनिक आवक 60-70 हजार बोरी की हो रही है जबकि भाव 2450 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं। स्टॉकिस्टों की बिकवाली कम आने से भावों में 15-20 रुपये का सुधार तो आता है लेकिन तेलों में उठान न होने के कारण तेजी स्थिर नहीं रह पाती। अभी तक करीब 24-25 लाख टन सरसों की पेराई हो चुकी है। नई फसल आने में अभी करीब नौ महीने का समय शेष है। उत्पादक मंडियों में सरसों की नई फसल की आवक फरवरी-मार्च महीने में होती है। अगर मानसून अच्छा रहा और खरीफ तिलहनों की बुवाई में बढ़ोतरी हुई तो फिर सरसों के मौजूदा भावों में और भी गिरावट आ सकती है।वायदा में नरमीएनसीडीईएक्स पर जुलाई महीने के वायदा अनुबंध में पिछले एक महीने में सरसों के भावों में करीब 3.4 फीसदी की गिरावट आई है। जुलाई अनुबंध के भाव शुक्रवार को 534 रुपये प्रति 20 किलो रह गए जबकि चार मई के इसके भाव 553 रुपये प्रति 20 किलो थे। जुलाई महीने के वायदा में इस समय 97,100 लॉट के सौदे खड़े हुए हैं।खाद्य तेलों का आयातदिल्ली वेजिटेबल ऑयल ट्रेडर्स एसोसिएशन के सचिव हेमंत गुप्ता ने बताया कि चालू तेल वर्ष (नवंबर से अप्रैल) के दौरान देश में खाद्य तेलों के आयात में 64 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। चालू तेल वर्ष के पहले छह महीनों में देश में 42.92 लाख टन खाद्य तेलों का आयात हो चुका है जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 26.11 लाख टन का हुआ था। खाद्य तेलों के आयात में हुई भारी बढ़ोतरी से घरेलू खाद्य तेलों में मांग काफी कमजोर बनी हुई है। इस समय थोक बाजार में सरसों तेल के भाव 48-49 रुपये प्रति किलो चल रहे हैं जबकि क्रूड पाम तेल के भाव 36-37 रुपये प्रति किलो चल रहे हैं। क्रूड पाम तेल के मुकाबले सरसों तेल के भाव ज्यादा तेज है जिसकी वजह से सरसों तेल में मांग काफी कमजोर बनी हुई है। शून्य शुल्क पर खाद्य तेलों का आयात होने के कारण ही आयात में भारी बढ़ोतरी देखी जा रही है। उन्होंने बताया कि अगर खाद्य तेलों का आयात इसी गति से जारी रहा तो घरेलू खाद्य तेलों के भावों में और भी गिरावट आ जाएगी। भावों में और गिरावट आती तो उसका असर तिलहनों की बुवाई पर पड़ सकता है।पैदावार में बढ़ोतरीकेंद्र सरकार द्वारा हाल ही में जारी तीसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक वर्ष 2008-09 रबी सीजन में देश में सरसों की पैदावार 73 लाख टन होने का अनुमान है। मालूम हो कि पिछले वर्ष देश में सरसों की पैदावार 58 लाख टन की हुई थी। लारेंस रोड स्थित मैसर्स अशोका ट्रेडर्स के अशोक कुमार ने बताया कि दिल्ली से बंगाल, बिहार और असम की मांग काफी कमजोर बनी हुई है। दिल्ली बाजार में कंडीशन की सरसों के भाव 2460 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं। हालांकि पिछले एक-दो दिनों में यहां इसके भावों में 15-20 रुपये प्रति क्विंटल का सुधार आया है। लेकिन तेल में उठाव न होने से तेजी स्थिर रहने की संभावना नहीं है। (Business Bhaskar.....R S Rana)
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