मुंबई June 05, 2009
भारत में गेहूं का बड़ा भंडार बना रहेगा। उम्मीद की जा रही है कि इस साल भी गेहूं की बंपर पैदावार होगी और निर्यात की संभावनाएं सीमित हैं।
संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने हाल की रिपोर्ट में यह संभावना जाहिर की है। गेहूं के प्रमुख उत्पादक और भंडारणकर्ता देश भारत के बारे में यह अनुमान लगाया गया है कि इसकी स्थिति पांच साल के उच्चतम स्तर पर अपरिवर्तित बनी रहेगी। इस समय भंडारण 178 लाख टन है।
वहीं रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि गेहूं की वर्ष 2010 की एक और बंपर फसल से आने वाले दिनों में भंडारण और अधिक हो सकता है। ऐसे समय में यह अनुमान और अहम हो जाता है, जब भारत ने अभी निर्यात से प्रतिबंध नहीं हटाया है, जबकि घरेलू बाजार में गेहूं की आपूर्ति बढ़ गई है।
जबसे संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार पर से सहयोगियों का दबाव कम हुआ है, साथ ही महंगाई दर पर भी नियंत्रण लग गया है- कारोबारी सूत्र यह अनुमान लगा रहे हैं कि सरकार गेहूं के निर्यात की छूट दे सकती है। एफएओ के पहले अनुमानों में कहा गया था कि 2009-10 में गेहूं की खरीद 1140 लाख टन रहेगी, जिसमें 8 प्रतिशत या 100 लाख टन की गिरावट आई है।
मई 2007 में गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी गई थी, जिससे महंगाई नियंत्रित हो सके। सरकार ने गेहूं का वायदा कारोबार भी रोक दिया था, क्योंकि इससे भय था कि कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है। बहरहाल एफएओ ने यह भी अनुमान लगाया है कि भारत का गेहूं उत्पादन 2009 में 1 प्रतिशत या 776 लाख टन कम होगी। हालांकि गेहूं के लिए मौसम अनूकूल रहा है।
संयुक्त राष्ट्र की भुखमरी पर बनी एक विशिष्ट एजेंसी ने अनुमान लगाया था कि गेहूं के वैश्विक उत्पादन में 4 प्रतिशत की कमी आएगी। उसका कहना है कि 2009 में कुल 6558 लाख टन गेहूं का उत्पादन होगा, जबकि इसके पहले साल 6846 लाख टन गेहूं का उत्पादन हुआ था। बहरहाल, संयुक्त राष्ट्र खाद्य एजेंसी ने कहा कि पिछले साल हुई बंपर पैदावार के बाद अब 2009 में भी अनाजों की अच्छी पैदावार होने संभावना है।
रिपोर्ट में अनुमान जाहिर किया गया है कि 2009 में अनाज का उत्पादन 221.9 करोड़ टन होगा जो 2008 के मुकाबले तीन फीसदी कम होगा। संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन की खाद्य दृष्टिकोण रिपोर्ट में कहा गया कि पैदावार में कमी को छोड़कर विश्व का आवश्यक खाद्य भंडार 2008 के मुकाबले ज्यादा सुविधाजनक स्तर पर है और खाद्य अर्थव्यवस्था पिछले साल से कम संवेदनशील है।
एफएओ ने हालांकि आगाह किया है कि कई विकासशील देशों में वैश्विक आर्थिक संकट के कारण कीमतें ऊंची रहेंगी और रोजगार व आय में कमी आएगी जिससे गरीबों को भोजन मिलने की संभावना पर संकट छाएगा। (BS Hindi)
06 जून 2009
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