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06 जून 2009

नुकसान 500 करोड़, बीमा दावे 7 लाख

कोलकाता June 05, 2009
आइला नाम के चक्रवाती तूफान के चलते कृषि को हुआ नुकसान 500 करोड़ रुपये के करीब हो सकता है, लेकिन मौसमी आधार पर फसलों के नुकसान का बीमा दावा 7 लाख रुपये से ज्यादा का नहीं होगा।
सरकारी अधिकारियों के अनौपचारिक अनुमानों के मुताबिक कृषि एवं वानिकी क्षेत्र में कुल नुकसान 500 करोड़ रुपये के आंकड़े तक पहुंच सकता है। राज्य सरकार की कृषि बीमा कंपनी (एआईसी), आईसीआईसीआई लोंबार्ड जनरल इंश्योरेंस और इफको-टोकियो तीन कंपनियां हैं, जो पश्चिम बंगाल में फसलों को बीमा की सुविधा मुहैया कराती हैं।
बहरहाल एआईसी के एक अधिकारी ने कहा कि पूर्वी मिदनापुर जिले के दो इलाकों (कोंटाई और इगरा) में कुल बीमा भुगतान 7 लाख रुपये आएगा। पश्चिम बंगाल के सबसे अधिक प्रभावित इलाकों, 24 परगना के बशीरहाट और बादुरिया में एआईसी ने मौसम से सुरक्षा का बीमा प्रदान किया है, यहां किसी तरह का भुगतान नहीं दिया जाना है।
इसके पीछे कारण यह है कि इन इलाकों में भारी पैमाने पर नुकसान हवाओं और ज्वार भाटा की वजह से हुआ है, बारिश से कम नुकसान हुआ है। एआईसी के मानकों के मुताबिक मौसम पर आधारित बीमा में दावा उन इलाकों में ही बनता है, जहां बारिश 75 मिलीमीटर से अधिक हुई होती है।
उत्तरी 24 परगना के इलाकों में मौसम विज्ञान के आंकड़ों के मुताबिक बारिश 62 मिलीमीटर ही हुई है। आईसीआईसीआई लोंबार्ड के मामले में, बीमा कवरेज की अवधि 15 मई 2009 को खत्म हो गई, राज्य में आइला करीब एक सप्ताह बाद आया है।
इफको टोकिया के मामले में भी सूत्रों ने कहा कि बीमा का दावा मुश्किल से ही बन पाएगा। इसके प्रवक्ता इस सिलसिले में बातचीत करने के लिए नहीं मिले। यहां तक कि जहां एआईसी सुविधाएं उपलब्ध कराता है, वहां सरसों की फसलों को बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है, यह बागवानी की फसल में आता है, जिसका बीमा कवर, मौसमी बीमा के तहत नहीं मिलता।
ज्यादातर खेतों में धान की फसल काटकर खेतों में ही रख दी गई थी। बीमा कंपनियां खड़ी फसल पर बीमा उपलब्ध कराती हैं। इसका परिणाम यह हुआ कि ज्यादातर धान की फसलें खेतों में ही बर्बाद हो गईं, लेकिन उन्हें बीमा का लाभ नहीं मिलेगा।
इस समय कृषि बीमा की सुविधा क्षेत्र के आधार पर होती है, जैसे नैशनल एग्रीकल्चर इंश्योरेंस स्कीम, जहां भुगतान का आधार कृषि का क्षेत्र होता है। दावों के निपटान में ज्यादा समय लगने की वजह से 2003 में सरकार ने मौसम आधारित बीमा योजना शुरू की, जहां बीमा की राशि का भुगतान कृषि के प्रतिकूल मौसम होने पर मिलता है, जिसमें बारिश और तापमान शामिल है।
मौसम आधारित बीमा का भुगतान तेजी से होता है और इसमें लचीलापन भी ज्यादा होता है, जिसके आधार पर फसलों के नुकसान का बीमा कवर मिलता है। (BS Hindi)

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