05 जून 2009
हल्के उत्पादन से दलहन आयात 30फीसदी बढ़ने की संभावना
चालू सीजन के दौरान भारत के दलहन आयात में करीब 30 फीसदी की बढ़ोतरी होने की संभावना जताई जा रही है। घरलू सप्लाई घटने से अगले मार्च तक करीब 30 लाख टन दलहन आयात हो सकता है। देश में सालाना करीब 1.7-1.8 करोड़ टन दलहन की खपत होती है जबकि पैदावार करीब 1.5 करोड़ टन है। दलहन आयातक संघ के उपाध्यक्ष सुरश अग्रवाल के मुताबिक किसानों द्वारा गन्ने और कपास जैसी नकदी फसलों की ओर रुख करने से दलहन उत्पादन में मांग के अनुरूप बढ़त नहीं हो रही है। इस साल चने की कीमतें कमोबेश स्थिर रही हैं जबकि कम उत्पादन और ज्यादा खपत की वजह से चीनी की कीमतों में तगड़ा इजाफा हुआ है। साल भर के दौरान चने के भाव में सिर्फ 17 रुपये `िंटल का ही इजाफा हुआ जबकि चीनी के भाव इस साल करीब 460 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ चुके हैं। पिछले साल सरकार द्वारा कॉटन के एमएसपी में 40 फीसदी इजाफा किए जाने से इसमें भी किसानों को बेहतर मुनाफा मिल रहा है। ताजा सरकारी अनुमान के मुताबिक इस साल देश में दलहन की पैदावार घटकर करीब 1.41 करोड़ टन रहने की संभावना है। पिछले साल यहां करीब 1.47 करोड़ टन दलहन पैदा हुई थी। भारत दुनिया का सबसे बड़ा दलहन उत्पदक देश है। लेकिन खपत भी यहां सबसे ज्यादा होती है। इस साल मांग के मुकाबले उपलब्धता में करीब 30 लाख टन की कमी देखी जा सकती है। पिछले साल यहां करीब 23 लाख टन दलहन का आयात हुआ था। इसके बावजूद सरकार दलहन उत्पादन बढ़ाने को लेकर कोई कारगर कदम नहीं उठा रही है। सरकार यदि दलहन के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में इजाफा करती है तो किसानों का इसके उत्पादन में रुझान बढ़ सकता। कम उत्पादन और आयात बढ़ने से आगामी दिनों में कीमतें भी तेज ही रहने की संभावना है। (Buisness Bhaskar)
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