मुंबई May 02, 2009
चने का उत्पादन कम होने के बावजूद इस समय कीमतों में ठहराव सा देखने को मिल रहा है।
जिसकी वजह इस समय बाजार में चने की खास मांग न होना और रबी सीजन का चना बाजार में बना रहना एवं पुराना स्टॉक जमा रहना बताया जा रहा है लेकिन बाजार के मौजूदा हालात और उत्पादन कम होने की वजह से मई महीने में चने की कीमतों में तेजी से मजबूती देखने को मिल सकती है।
इस साल चने का उत्पादन 50 लाख टन के आसपास बताया जा रहा है जबकि पिछले साल चने का उत्पादन 60 लाख टन के करीब हुआ था। इसके बावजूद चने की कीमतों में अभी तक तेजी की स्थिति नहीं बन पा रही थी, जिसकी वजह किसानों के पास अभी तक पर्याप्त मात्रा में चना मौजूदा था।
सटोरिए पूरी तरह से जांच लेना चाहते थे कि किसानों के पास से बाजार में चना किस मात्रा में आ रहा है। इसके अलावा पुराना स्टॉक भी बाजार में उपलब्ध था। शेयरखान के कमोडिटी रिसर्च प्रमुख मेहुल अग्रवाल कहते हैं कि चने की कीमतों में सुधार आना शुरू हो गया है।
हाजिर बाजार में चना इस समय 2350 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास चल रहा है जो 10 दिन पहले 2300 रुपये से भी कम था। मई महीना चने की कीमतों के लिए तेजी का रहता है क्योंकि सटोरिए अप्रैल के बाद ही पूरी तरह से बाजार में सक्रिय होते हैं।
पिछले साल उत्पादन अधिक हुआ था इसके बावजूद मई में चना प्रति क्विंटल 2500 रुपये के ऊपर चल रहा था। इस बार जब उत्पादन भी कम हुआ है और दलहन की दूसरी फसलों के दाम आसमान छू रहे हैं तो चने की कीमत बढ़ना लाजिमी है।
पिछले सप्ताह दाल मिलों और कारोबारियों की कम मांग के चलते चने की कीमतें कम थी। पिछले सप्ताह तक चने की कीमतें 2225 और 2250 रुपये प्रति क्विंटल थी जिनमें मजबूती आना शुरू हो गई है जो 15 मई तक 2500 रुपये प्रति क्विंटल के आंकड़े को पार कर सकती हैं। जिसकी प्रमुख वजह वायदा बाजार में सटोरियों का सक्रिय हो जाना माना जा रहा है।
महाराष्ट्र की थोक अनाज मंडी (एपीएमसी) में दलहन कारोबारी रमेश भाई के अनुसार किसानों के पास जो माल आना था वह आ चुका है, शादी-विवाह का सीजन भी लगभग खत्म हो गया है और अगले एक महीने तक किसानों के पास कोई खर्च भी नहीं है।
फसल की बुवाई या बच्चों को स्कूल भेजने के लिए किताब कापी की जरूरत जुलाई में ही पड़ने वाली है जिससे जो किसानों के पास बचा माल है वह मई में बाजार में नहीं आने वाला है। इस बात को वायदा कारोबारी भलीभांति जानते हैं जिससे मई में चने की कीमतों बढ़ोत्तरी होनी तया है।
पिछला रिकॉर्ड और इस बार कम उत्पादन को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि मई में लगभग 25 से 30 फीसदी आवक कम हो जाएगी। रमेश भाई के अनुसार पिछले कुछ दिनों से वायदा बाजार में चने की मांग बढ़ने और हाजिर बाजार में होने वाली आवक को देखते हुए लगता है कि मई में अंत तक चना 2600 रुपये प्रति क्ंविटल पर बिके तो कोई आश्चर्य वाली बात नहीं होगी। (BS Hindi)
04 मई 2009
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