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04 मई 2009

स्टार्च की कीमतों में बढ़ोतरी

मुंबई May 02, 2009
इस समय घरेलू स्टार्च बाजार में तेजी आ गई है, क्योंकि इसके विनिर्मित उत्पाद बनाने वालों की ओर से मांग बढ़ी है।
मांग में बढ़ोतरी मुख्य रूप से टेक्सटाइल क्षेत्र से है। टेक्सटाइल क्षेत्र के जानकारों का मानना है कि मांग में हुई बढ़ोतरी की वजह से स्टार्च की कीमतों में तेजी बनी रहेगी।
पिछले दो सप्ताह से स्टार्च बाजार में कीमतें तेजी की ओर हैं और 50 किलो की एक बोरी की कीमत 800 रुपये हो गई है। वहीं 2 सप्ताह पहले इसकी कीमतें 725-730 रुपये प्रति बोरी थीं। इसकी कीमत बढ़कर 840 रुपये प्रति बोरी तक पहुंच सकती है। स्टार्च मक्के से तैयार किया जाता है।
दिल्ली स्थित भारत स्टार्च इंडस्ट्रीज के जनरल मैनेजर नवीन विज ने कहा, 'टेक्सटाइल उद्योग की ओर से मांग में 30 प्रतिशत की गिरावट आई थी, जबकि अब मांग 40 प्रतिशत बढ़ गई है।' सामान्यतया गर्मी के मौसम में स्टार्च की मांग बढ़ जाती है और बारिश शुरू होने तक मांग बरकरार रहती है।
टोपियोका स्टार्च की मांग बढना एक दूसरी महत्वपूर्ण बात है, जिसकी वजह से मक्के के स्टार्च की मांग बढ़ रही है। औसतन टोपियोका स्टार्च की कीमतें मक्के के स्टार्च की तुलना में प्रति 20 किलोग्राम 4 रुपये ज्यादा होती है। कीमतों में इस अंतर की वजह से भी मक्के की स्टार्च की मांग में बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
आल इंडिया स्टार्च मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अमोल एस शाह ने कहा कि इस समय मांग अधिक है और इसका असर कीमतों पर नजर आ रहा है। अभी आने वाले दिनों में भी मांग बरकरार रहेगी और कीमतें 5-10 प्रतिशत और बढ़ सकती हैं। मक्के की उपलब्धता का असर भी स्टार्च उत्पादकों पर पड़ रहा है।
पिछले कुछ दिनों से मक्के की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है, उसके बाद से उत्पादकों ने मक्के का 1 माह से ज्यादा का स्टाक नहीं रखा है। मुंबई स्थित सहयाद्री स्टार्च के प्रबंध निदेशक विशाल मजीठिया ने कहा कि ऐसे में, जब मक्के की कीमतें ज्यादा हैं, ज्यादा स्टाक रखने का कोई मतलब नहीं बनता। स्टार्च के प्रमुख ग्राहकों में टेक्सटाइल उद्योग, फार्मास्यूटिकल क्षेत्र, कागज उद्योग, तरल ग्लूकोज उद्योग हैं। (BS Hindi)

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