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14 मई 2009

फिर चमकने लगा सूरत का हीरा

अहमदाबाद May 13, 2009
सूरत में हीरा कटाई और तराशी उद्योग से जुड़ी इकाइयां अपनी खोई चमक फिर से वापस लाने में सफल हो रही हैं।
लंबे अरसे से बेनूर पड़ा यह कारोबार एक बार फिर पटरी पर लौटता दिख रहा है। मंदी के चलते यहां हीरे तराशने वाली हजारों इकाइयां बंद कर दी गई थीं। लेकिन अब इनमें से लगभग 500 इकाइयों में फिर से काम शुरू हो गया है।
मांग ठप हो जाने की वजह से लाखों कारीगरों को नौकरी से हाथा धोना पड़ा था। लेकिन अब स्थिति में सुधार हो रहा है, जिसका लगभग 2 लाख हीरा कामगारों को फायदा मिल सकता है। मंदी ने गुजरात में 50 हजार करोड़ रुपये के इस उद्योग को झकझोर कर रख दिया था।
सूरत डायमंड एसोसिएशन (एसडीए) के अध्यक्ष सी. पी. वनानी कहते हैं, 'दिवाली की छुट्टियों से पहले तक सूरत में लगभग 2500 से 3000 डायमंड कटिंग एवं पॉलिशिंग इकाइयां काम कर रही थीं। लेकिन दिवाली के बाद मुश्किल से 1000 इकाइयां ही अपना काम-काज फिर से शुरू कर सकी हैं।
बाकी इकाइयों ने मंदी की वजह से अपना कामकाज बंद रखना ही उचित समझा। लेकिन अब मांग में थोड़ा इजाफा हो रहा है, जिससे पिछले 30 दिनों में करीब 500 से अधिक इकाइयां फिर से पटरी पर लौट आई हैं। मौजूदा समय में सूरत में 1500 इकाइयां काम कर रही हैं।'
घरेलू मांग बढ़ने और कच्चे माल के भंडार में आई कमी ने इन इकाइयों को अपना परिचालन पुन: शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया है। एसडीए के पूर्व अध्यक्ष प्रवीण नानावटी ने कहा, 'बड़ी तादाद में डायमंड इकाइयां कामकाज को बंद रखना ही पसंद कर रही थीं, लेकिन दिवाली के बाद जिन इकाइयों ने कामकाज शुरू किया है, वे अपने कच्चे माल के स्टॉक को काफी हद तक घटाने में सफल रही हैं।
फिलहाल कच्चे माल का भंडार नहीं है और इकाइयां कारोबारी गतिविधियों में तेजी को देखते हुए अब कच्चे माल की खरीदारी करने में लगी हैं।' मुंबई और सूरत में कारोबारी गतिविधियों में तेजी आई है। पॉलिश किए हुए हीरे की खरीदारी जोर पकड़ रही है।
वनानी ने बताया, 'खुरदरे, यानी कच्चे हीरे की कीमतों में हाल में ही 20 फीसदी तक का इजाफा हुआ है। हालांकि पॉलिश किए हुए हीरे की कीमतों में ज्यादा सुधार नहीं आया है। आने वाले दिनों में पॉलिश किए हुए हीरे की कीमतों में भी उछाल आने की संभावना जताई जा रही है।'
सूरत में तराशे गए करीब 90 फीसदी हीरे का निर्यात किया जाता है, जबकि शेष घरेलू बाजार में बेचा जाता है। प्रवीण नानावटी कहते हैं, 'अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों की तुलना में मंदी ने भारत को ज्यादा प्रभावित नहीं किया है। पहले हीरा आभूषणों का इस्तेमाल खरीदारी के लिए ही किया जाता था, लेकिन अब हालात बदले हैं। हाल के समय में भारतीय उपभोक्ताओं ने निवेश के लिहाज से भी इसकी खरीदारी शुरू कर दी है।'
तराशा हुआ कल
पिछले 30 दिनों में 500 इकाइयों ने काम शुरू कियामंदी के चलते कुछ ही महीनों में हजारों इकाइयों पर जड़ गया था तालादो लाख कारीगरों के हाथों से छिन गया था कामअब लगातार बढ़ रही है कारीगरों की मांग (BS Hindi)

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