मुंबई May 13, 2009
हाल के महीने में खाद्य तेल के आयात में जबरदस्त रूप से बढ़ोतरी हुई है। हालांकि सरकार के संशोधित अनुमान की मानें तो मौजूदा सीजन में तिलहन फसल का उत्पादन बेहतर होगा।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने वर्ष 2008-09 (नवंबर-अक्टूबर) में देश में वनस्पति तेल का आयात 75 लाख टन के मुकाबले 80 लाख टन का संशोधित अनुमान लगाया है।
इसका सामान्य अर्थ यह है कि पिछले साल के आयात के मुकाबले इस साल खाद्य तेल का आयात 25 फीसदी से ज्यादा हो सकता है। अप्रैल के आंकड़ों की मानें तो तेल के आयात में 100 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है।
एसईए के जारी आंकड़ों के मुताबिक मौजूदा तेल वर्ष (नवंबर-अक्टूबर) की पहली छमाही में अप्रैल तक तेल के आयात में 64 फीसदी तक का उछाल आया। वर्ष 2007-08 में देश में वनस्पति तेल के आयात ने 63 लाख टन के रिकॉर्ड स्तर को छू लिया जबकि वर्ष 2008-09 (नवंबर-अप्रैल) की पहली छमाही में आयात 40 लाख टन आयात के स्तर को पार कर गया।
एसईए के कार्यकारी निदेशक बी. वी. मेहता का कहना है, 'आयात में बढ़ोतरी की मुख्य वजह यह रही कि वर्ष 2008-09 (अक्टूबर-सितंबर) में तिलहन का उत्पादन अनुमान से कम हुआ। वहीं स्थानीय स्तर पर कम कीमतों की वजह से घरेलू खपत में बढ़ोतरी हुई है। अंतरराष्ट्रीय खाद्य तेल की कीमतें कम हैं और देश में कच्चे खाद्य तेल पर कोई आयात शुल्क नहीं है।'
एसोसिएशन का कहना है कि कुल वनस्पति तेल के आयात में, खाद्य तेल का आयात 75 लाख टन हुआ जबकि 500,000 टन गैर-खाद्य तेल का आयात होने की उम्मीद है। वैसे मंगलवार को कृषि मंत्रालय द्वारा तिलहन फसलों के संशोधित अनुमान की घोषणा पर इस उद्योग के खिलाड़ियों को संदेह है।
मंत्रालय द्वारा जारी फ सल के तीसरे अनुमान में कुल तिलहन फसल में 5.5 फीसदी के संशोधन के साथ 2.81 करोड़ टन के बजाय 2.97 करोड़ टन का अनुमान लगाया गया है। तिलहन फसलों का पहला अनुमान महज 2.59 करोड़ टन था।
इस उद्योग से जुड़े एक खिलाड़ी का कहना है कि आयात में बढ़ोतरी यह दर्शाती है कि फसल का उत्पादन बेहतर नहीं है और मंत्रालय अपनी अंतिम समीक्षा में शायद फसल आकार को कम करे। बेहतर फसल होती तो पेराई में बढ़ोतरी होती और रिफाइंड तेल के साथ ही निर्यात के लिए भी आपूर्ति की जाती। इस तरह के कोई संकेत नहीं देखे गए हैं।
रिफाइंड तेल के ज्यादा आयात का सीधा मतलब यह है कि पेराई मिलों को कम फसल और बीजों की कम आपूर्ति की दिक्कतों को झेलना पड़ रहा है। रिफांइड तेल के आयात में बढ़ोतरी होने की वजह से रिफाइनरी को भी कम रिफाइन करना पड़ रहा है।
एसईए का कहना है कि पाम उत्पादों की कीमतों में नवंबर से ही 250 डॉलर प्रति टन की बढ़ोतरी हुई। कच्चे पाम तेल पर कोई आयात शुल्क नहीं लग रहा है इस वजह से आयात अब तक आकर्षित कर रहा है।
खाद्य तेल के आयात की धार
अप्रैल में खाद्य तेलों का आयात दोगुना हुआ कुल आयात में हो सकती है 25 फीसदी तक की बढ़ोतरी आयात में रिफाइंड तेल की हिस्सेदारी बढ़ीउद्योग को बेहतर तिलहन फसल की उम्मीद, आयात कर लगाने पर जोर (BS Hindi)
14 मई 2009
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें