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14 मई 2009

गर्म तेल से नहीं पड़ेंगे छाले

नई दिल्ली May 13, 2009
कच्चे तेल के दाम में हाल में आई तेजी से आप यह बिल्कुल भी न सोचें कि देश में भी पेट्रोल और डीजल की कीमत बढ़ जाएगी।
चुनावी समर में हथियार आजमा रही सरकार ने कहा है कि निकट भविष्य में इसकी कोई संभावना नहीं है क्योंकि अब भी तेल कंपनियों को इससे फर्क नहीं पड़ रहा।
हालांकि जून के महीने में पेट्रोल, डीजल, केरोसिन और एलपीजी पर सब्सिडी की वजह से रिटेल मार्जिन शून्य से कम होने जा रहा है। लेकिन सरकार को कोई चिंता नहीं है।
पेट्रोलियम सचिव आर एस पांडे ने कहा, 'चिंता की कोई बात नहीं। तेल की कीमत चढ़ भी रही है और गिर भी रही है। हमने पिछले साल 147 डॉलर प्रति बैरल की आसमान छूती कीमत भी झेली थी, इसलिए आज के दाम हमारे लिए काफी राहत भरे हैं।'
सरकारी तेल विपणन कंपनियां भी दामों में इजाफे की संभावना से इनकार कर रही हैं। इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'तेल के दाम जब तक 50 से 60 डॉलर प्रति बैरल के दायरे में रहते हैं, तब तक फिक्र करने की जरूरत नहीं है।'
कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमत मंगलवार को 60 डॉलर प्रति बैरल का आंकड़ा पार कर गई थी, जबकि पिछले साल दिसंबर में दाम 32.40 डॉलर प्रति बैरल तक गिरे थे। लेकिन चीन और यूरोप में सुधरते आर्थिक हालात के संकेतों की वजह से तेल के दाम चढ़ने लगे हैं।
भारत में कच्चे तेल का औसत बास्कट मूल्य इस महीने 55.57 डॉलर प्रति बैरल रहा है। अप्रैल के औसत दाम के मुकाबले यह 11 फीसदी अधिक है और मार्च की कीमत के लिहाज से इसमें 20 फीसदी का इजाफा है।
लेकिन पिछले साल भारत में क्रूड बास्कट का औसत मूल्य 83.57 डॉलर प्रति बैरल था। फिलहाल तेल कंपनियों को पेट्रोल पर 1.54 रुपये प्रति लीटर, केरोसिन पर 11.80 रुपये और एलपीजी पर 88 रुपये प्रति सिलिंडर का नुकसान हो रहा है। केवल डीजल पर उसे 1.09 रुपये प्रति लीटर का मुनाफा हो रहा है। (BS Hindi)

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