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14 मई 2009

इस्पात उत्पादन में भारत तीसरे स्थान पर

मुंबई May 13, 2009
मंदी के चलते मांग में कमी और दुनियाभर उत्पादन में कटौती के चलते इस्पात उत्पादन के क्षेत्र में भारत, रूस और अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश बन गया है।
वर्ल्ड स्टील एसोसिएशन के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, मार्च 2009 की तिमाही में अमेरिका ने अपने उत्पादन में करीब 52.5 फीसदी की कटौती की है, जबकि रूस में स्टील का उत्पादन 33 फीसदी घटा है।
जहां तक भारत की बात है, तो इस दौरान यहां इस्पात उत्पादन में केवल 7.9 फीसदी की कटौती की गई है। पिछले साल इस दौरान जहां 143 लाख टन इस्पात का उत्पादन किया गया था, वहीं इस साल उत्पादन 137 लाख टन रहा। इससे भारत इस्पात उत्पादन में दुनियाभर में तीसरे पायदान पर पहुंच गया। हालांकि चीन पहले और जापान दूसरे पायदान पर काबिज है।
जेएसडब्ल्यू स्टील के संयुक्त प्रबंध निदेशक और समूह के मुख्य वित्तीय अधिकारी एम.वी.एस शेषगिरी राव का कहना है कि भारत के वित्तीय संस्थानों पर मंदी का असर दुनिया के अन्य देशों से कम पड़ा है। जिससे विभिन्न सेक्टरों को नकदी की किल्लत का खासा सामना नहीं करना पड़ा।
यही वजह है कि इस्पात के क्षेत्र में मंदी के बावजूद ज्यादा गिरावट नहीं आई। इसके साथ ही घरेलू मांग से भी स्टील कंपनियों को खासी मदद मिली। राव का कहना है कि भारत का इस्पात उद्योग निर्यात पर निर्भर नहीं है और यहां घरेलू खपत बहुत ज्यादा है।
एडलवाइस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रसाद बाजी का कहना है कि सरकार की ओर से मिले राहत पैकेज और ग्रामीण मांग के चलते इस्पात उद्योगों का प्रदर्शन बेहतर रहा है। उन्होंने कहा, 'क्योंकि पश्चिमी देशों में बदलाव देखने को नहीं मिला है इसलिए विश्व के शेष हिस्सों की तुलना में भारत का प्रदर्शन बेहतर होने की उम्मीद है।'
जनवरी से मार्च के दौरान इस्पात का वैश्विक उत्पादन 2,640 था जो साल 2008 की पहली तिमाही की तुलना में 22.8 फीसदी कम है। एशिया में 1,730 लाख टन कच्चे इस्पात का उत्पादन हुआ और इसमें 8.9 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।
अमेरिका और यूरोप में मांग घटने से कंपनियां, जिसमें आर्सेलर मित्तल और टाटा स्टील के कोर भी शामिल हैं, अपने ब्लास्ट फरनेस बंद करने पर बाध्य हुए। इसके परिणामस्वरूप उत्पादन में भारी गिरावट आई।
यूरोपीय यूनियन का इस्पात उत्पादन 300 लाख टन रहा और इसमें 43.8 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। अमेरिका के उत्पादन में 52.1 फीसदी की कमी आई और साल 2009 की पहली तिमाही में उत्पादन 166 लाख टन रहा। (BS Hindi)

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