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07 मई 2009

निर्यात मांग बढ़ने से काबुली चना दस फीसदी महंगा

काबुली (डॉलर) चने का निर्यात इस साल जोरों पर हो रहा है। इसके कारण काबुली चने की निर्यात मांग तो ज्यादा है लेकिन कारोबारियों को उत्पादन घटने की आशंका है। इसका नतीजा है कि काबुली चने के भाव में लगातार तेजी दर्ज की जा रही है। पिछले एक हफ्ते में इसके दाम दस फीसदी तक बढ़ गए हैं। एक हफ्ते पहले इंदौर के बाजार में काबुली चने का दाम ब्9क्क् रुपये थे जो बढ़कर भ्ब्क्क् रुपये प्रति क्विंटल हो गए हैं। उत्पादक क्षेत्र की जावरा मंडी में यह भ्भ्म्फ् रुपये प्रति क्विंटल के रिकार्ड स्तर तक पहुंच गया है।इसके दामों में बढ़ोतरी की मुख्य वजह निर्यात मांग बढ़ने को माना जा रहा है। इंदौर स्थित काबुली चने के थोक कारोबारी राजकुमार पंडया ने बिजनेस भास्कर को बताया कि पिछले साल के मुकाबले इस साल निर्यात मांग ज्यादा है। दूसरी ओर कारोबारियों का आकलन है कि पिछले साल के मुकाबले उत्पादन में कमी आई है। जिसके चलते कीमतों में ते•ाी बनी हुई है। पिछले साल देश में तीन लाख टन काबुली चने का उत्पादन हुआ था जो इस साल कम होकर फ्.म्क् लाख टन रहने का अनुमान है। पिछले साल भारत से ख्.फ्म् लाख टन डॉलर चने का निर्यात हुआ था। काबुली चने का ज्यादा निर्यात खाड़ी देशों को होता है। इसके अलावा कुछ मात्रा में यूरोप और अफ्रीकी देशों में भी निर्यात होता है।देश में काबुली चने का उत्पादन मुख्य रूप से मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में होता है। मध्य प्रदेश में देश का अस्सी फीसदी काबुली चने का उत्पादन होता है। कारोबारियों के अनुसार उत्पादन में कमी के अलावा इस साल पिछला बकाया भी बहुत कम है। उत्पादन में कमी और कमजोर स्टॉक को देखते हुए स्टॉकिस्टों की भारी खरीद हो रही है। पिछले कुछ दिनों में छुट्टियों के चलते राज्य की मंडियों में काबुली चने की आवक में भी कमी आई है। एक हफ्ते पहले इंदौर की मंडियों में करीब म्क्क्क् बोरी चने की आवक हो रही थी जो फिलहाल कम होकर ख्क्क्क्-ख्म्क्क् बोरियों तक सिमट गई है। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में काबुली चने की आवक तो शुरू हो गई है। किंतु आंध्र प्रदेश में इसकी आवक शुरू नहीं हुई है। (Business Bhaskar)

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