02 मई 2009
कीमतों में तेजी से गोदामों में रखे धान पर कर्ज लेने वालों को राहत
मुंबई- जनवरी के बाद से अब तक कीमतों के 35 फीसदी ऊपर जाने के कारण धान की वेयरहाउस रिसीट पर कर्ज लेने वाले ट्रेडर और प्रॉसेसर्स राहत की सांस ले रहे हैं। जनवरी में पूसा 1121 किस्म के चावल की कीमतों में भारी गिरावट आने के कारण मार्केट के इन खिलाडि़यों को मार्जिन कॉल से जूझना पड़ा था। अक्टूबर 2008 में पूसा 1121 की कीमत 30,000 रुपए प्रति टन पर चल रही थी, लेकिन जनवरी में यह गिरकर 22,000 रुपए प्रति टन के स्तर पर आ गई थी। आईसीआईसीआई बैंक के जनरल मैनेजर (एग्री, रूरल और माइक्रो बैंकिंग) कुमार आशीष ने ईटी को बताया कि मार्जिन के 10 फीसदी से नीचे जाने के कारण बैंकों को मार्जिन कॉल इश्यू करनी पड़ी। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि पूसा 1121 की कीमतों में काफी गिरावट आई थी और धान पर लिए गए कर्ज में सबसे अधिक हिस्सा पूसा 1121 किस्म के चावल का ही था। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने भी ऐसे काफी कर्ज दे रखे हैं। बैंक के एक सीनियर अधिकारी का कहना है, 'जब भी कीमतों में पांच फीसदी का उतार-चढ़ाव होता है तो वेयरहाउस रिसीट गिरवी रखने वाले लोगों से माजिर्न बढ़ाने को कहते हैं।' 35 फीसदी मार्जिन रखने के बाद आईसीआईसीआई बैंक वेयरहाउस रिसीट पर लोन देता है। आशीष का कहना है, 'धान के वेयरहाउस रिसीट पर हमने कुल 400 करोड़ रुपए का लोन दिया है। इसमें से 40 करोड़ लोन को हमने अक्टूबर 2008 में मंजूरी दी थी। यह लोन 30,000-31,000 रुपए प्रति टन की कीमत पर दिया गया था। यह लोन उन गिने-चुने मामलों में शामिल है जहां पर माजिर्न 35 फीसदी से 6-7 फीसदी तक नीचे आ गया। इस कारण पॉलिसी के तहत हमें ट्रेडरों को मार्जिन कॉल इश्यू करनी पड़ी।' उन्होंने बताया कि अधिकतर फंडिंग नवंबर, दिसंबर और जनवरी में हुई, जब धान की कीमतों में गिरावट आ चुकी थी। इस दौरान कीमतें 22,000 से लेकर 27,000 रुपए प्रति टन के बीच चल रही थीं। सरकार द्वारा कमोडिटी की न्यूनतम निर्यात कीमत तय करने के बाद पूसा 1121 की कीमतों में तेज गिरावट देखने को मिली थी। इससे बाजार में कमोडिटी की सप्लाई काफी बढ़ गई क्योंकि आयातकों ने अपेक्षाकृत सस्ते देशों जैसे पाकिस्तान से आयात करना शुरू कर दिया क्योंकि पाकिस्तान में निर्यात कीमतें भारत के मुकाबले काफी कम थीं। एसबीआई और आईसीआईसीआई बैंक के अलावा एक्सिस बैंक, इंडसइंड बैंक और डेवलपमेंट क्रेडिट बैंक वेयरहाउस रिसीट पर कर्ज मुहैया कराते हैं। (ET Hindi)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें