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02 मई 2009

दार्जिलिंग में बारिश से चाय उत्पादकों खुश

कोलकाता- सिलीगुड़ी के आसपास का पूरा इलाका गुरुवार को लोकसभा चुनावों के लिए मतदान में व्यस्त था। वहीं, इसी मौके पर उत्तरी बंगाल और दार्जिलिंग के इलाके में हुई जोरदार बारिश ने देश के चाय उत्पादकों के चेहरों में खुशी की लहर वापस ला दी है। फरवरी के बाद बारिश न होने के कारण यहां पहले चरण की चाय की पत्तियों की तुड़ाई प्रभावित हुई है। घरेलू और वैश्विक बाजारों में पहले चरण में तोड़ी इन पत्तियों को बहुत अच्छे दाम मिलते हैं। इंडियन टी एसोसिएशन (आईटीए) के चेयरमैन आदित्य खेतान ने ईटी को बताया, 'एक अनुमान के मुताबिक बारिश न होने के कारण उत्तरी भारत (उत्तरी बंगाल और असम) में चाय उत्पादन 200 लाख किलोग्राम कम रहने का अनुमान है। हालांकि, अब थोड़ी बहुत बारिश शुरू हो चुकी है। दूसरे चरण के बेहतर उत्पादन के लिए चाय की झाडि़यों को बेहतर बारिश की जरूरत है। उत्तरी बंगाल के अलावा असम में भी बारिश शुरू हो चुकी है। लंबे अंतराल के बाद बारिश होने से चाय उद्योग को काफी राहत मिली है।' आईटीए के चेयरमैन ने ईटी से चाय उद्योग के बारे में यह चर्चा तब की, जब पश्चिम बंगाल में तीन चरणों में होने वाले मतदान के तहत कूचबिहार, जलपाईगुड़ी और दार्जिलिंग में मतदान हो रहा था। टी इंडस्ट्री का अनुमान है कि अप्रैल के आखिर तक भारत के चाय उत्पादन में 350 लाख किलोग्राम की कमी आएगी। आईटीए के चेयरमैन ने बताया कि दक्षिण भारत में भी सूखे की जैसी स्थिति होने से 150 लाख किलोग्राम चाय का उत्पादन कम होने का अनुमान है। टी बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2009 के पहले दो महीनों में वैश्विक स्तर पर चाय की पैदावार में 381 लाख किलोग्राम की कमी आई है। मौजूदा समय में भारत में चाय का कुल भंडारण 600 किलोग्राम है। खेतान ने बताया, 'इस समय मांग और आपूर्ति के बीच 250 लाख किलोग्राम का अंतर है। अगर इसमें 350 लाख किलोग्राम के हुए कम उत्पादन को जोड़ दिया जाए, तो अंतर बढ़कर 600 किलोग्राम हो जाता है।' पिछले दिनों हुई बारिश से दार्जिलिंग टी उद्योग में उत्साह एक बार फिर लौट आया है। जिसे न केवल सूखे मौसम का सामना करना पड़ता है बल्कि गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) का विरोध भी झेलना पड़ता है। बारिश न होने से दार्जिलिंग में पहले चरण की पत्तियों की तुड़ाई काफी हद तक प्रभावित हुई है। दार्जिलिंग टी एसोसिएशन के चेयरमैन संजय बंसल ने बताया, 'हमारा अनुमान है कि पहले चरण के उत्पादन में 30 फीसदी तक की गिरावट आई है। सौभाग्य से दाजिर्लिंग में मौसम में काफी सुधार आया है और यहां बारिश शुरू हो गई। हालांकि, हम पहले चरण के उत्पादन की भरपाई करने में कामयाब नहीं होंगे। लेकिन हमारा मानना है कि दूसरे चरण में उत्पादन कहीं ज्यादा बेहतर होगा।' (ET Hindi)

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