04 मई 2009
उर्वरक फर्म बढ़ाएंगी अपनी यूरिया उत्पादन क्षमता
घरेलू फर्टिलाइजर कंपनियां अगले चार साल में अपनी यूरिया उत्पादन क्षमता को बढ़ाने पर पांच से छह अरब डॉलर का निवेश कर सकती हैं , जिससे देश की यूरिया उत्पादन क्षमता में 60 लाख टन की बढ़ोतरी होने का अनुमान है। उर्वरक सचिव अतुल चतुर्वेदी ने ईटी नाउ को बताया कि देश में कुल उर्वरक खपत में यूरिया का हिस्सा करीब 50 फीसदी है। देश में करीब 2.4 करोड़ टन यूरिया आधारित उर्वरक की खपत होती है जबकि देश में उर्वरक की कुल खपत करीब 4.9 करोड़ टन है। चतुर्वेदी ने कहा कि यूरिया उत्पादन क्षमता में विस्तार के बाद भारत यूरिया आयातक के बजाय निर्यात करने वाले देश में तब्दील हो जाएगा। साल 2008-09 में देश में यूरिया का उत्पादन करीब दो करोड़ टन रहा था जबकि वास्तविक खपत करीब 2.4 करोड़ टन थी। 40 लाख टन की अतिरिक्त जरूरत को यूरिया के आयात के जरिए पूरा किया गया था। रिलायंस इंडस्ट्रीज के कृष्णा - गोदावरी ( केजी ) बेसिन से होने वाली नेचुरल गैस की इन उर्वरक फर्मों को सप्लाई की व्यवस्था होने से भी इन कंपनियों को अपनी क्षमता विस्तार में काफी मदद मिलेगी। साल 2009-10 में ही केजी बेसिन से मिलने वाली गैस से ही इन फर्मों की उत्पादन क्षमता में 20 लाख टन का इजाफा होगा। मंत्रालय के मुताबिक , हिंदुस्तान फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन की बरौनी इकाई , दुर्गापुर , हल्दिया , तलछर , सिंदरी , रामगुंडम और गोरखपुर इकाइयों को दोबारा खड़े करने के लिए निवेश की योजनाएं तैयार हुई हैं। ये प्लांट हिंदुस्तान फर्टिलाइजर कॉर्प . लिमिटेड और फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ( एफसीआई ) के हैं। इनमें से कुछ प्लांट पिछले 19 साल से बंद पड़े हैं। (ET Hindi)
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