कोलकाता 05 04, 2009
सीमेंट की कीमतें बढ़ने से निर्माण उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इस दौरान सार्वजनिक क्षेत्र की बुनियादी परियोजनाओं में सीमेंट की मांग में इजाफा हुआ है।
रियल एस्टेट डेवलपर्स, जो पहले ही मांग की कमी से जूझ रहे हैं, का कहना है कि पिछले छह महीने में इस्पात की कीमतें घटने के बावजूद उनके मार्जिन कम से कम 5 फीसदी कम हुए हैं। सीमेंट की कीमतों में 10 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है।
हालांकि, बुनियादी ढांचा उद्योग भी सीमेंट की कमी से जूझ रहा है और कई कंपनियां, जो सार्वजनिक-निजी साझेदारी (पीपीपी) मॉडल पर काम कर रही है, लागत-वृध्दि को देखते हुए अब सरकार से अतिरिक्त फंड की मांग कर रही हैं।
कोलकाता स्थित निर्माण कंपनी सिंप्लेक्स इन्फ्रास्ट्रक्चर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'पिछले तीन-चार महीनों में कुछ क्षेत्रों में सीमेंट की कीमतों में 30 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है। इसके परिणामस्वरूप परियोजनाओं की लागत भी बढ़ी है। इस कारण कई कंपनियों को बढ़ी लागत के लिए सरकार के पास अलग से दावा करने की जरूरत होगी। अधिकांश मामलों में अतिरिक्त फंड मिलने में काफी वक्त लगता है।'
रियल्टी कंपनियों की तरफ से मांग बढ़ने की बात की पुष्टि करते हुए बिनानी सीमेंट के प्रबंध निदेशक विनोद जुनेजा ने इस बात से इनकार किया कि सीमेंट की कीमतों में 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
उन्होंने कहा, 'पिछले तीन महीनों में रियल्टी क्षेत्र की सीमेंट की मांग लगभग 5 फीसदी बढ़ी है जबकि बुनियादी ढांचा उद्योग की मांग में 9 से 10 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। सबसे बड़ी बात यह है कि पश्चिम भारत में वैगन की कमी हो रही है जिस कारण सीमेंट के पहुंचने में सात-आठ दिनों का विलंब हो रहा है।'
सीमेंट निर्माता संघ (सीएमए) के आंकड़ों के अनुसार, सालाना आधार पर जनवरी से मार्च 2009 की अवधि में लदाई में 9.15 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। सीएमए के अध्यक्ष और श्री सीमेंट के प्रबंध निदेशक एच एम बांगर ने कहा कि सीमेंट की मांग बढ़ने के साथ-साथ पिछली तिमाही में उत्पादन में भी 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
अकेले अगस्त 2008 से जनवरी 2009 की अवधि में सरकार ने 37 बुनियादी परियोजनाओं की अनुमति दी है जो 70,000 करोड रुपये की है। इसके अतिरिक्त पीपीपी के तहत 67,700 करोड़ रुपये वाली 54 केंद्रीय बुनियादी परियोजनाओं की सैध्दांतिक या अंतिम अनुमति पीपीपी अप्रैजल कमिटी ने दे दी है। 27,900 करोड रुपये की 23 परियोजनाओं को साल 2008-09 में वायबिलिटी गैप फंडिंग की अनुमति मिल चुकी है।
फीडबैक वेंचर्स के उपाध्यक्ष आर एस रामसुब्रमण्यन ने कहा कि राज्य सरकारों की कुछ आवास योजनाओं, सड़क और ग्रामीण क्षेत्रों की सिंचाई परियोजनाओं की वजह से सीमेंट की मांग में तेजी आई हो सकती है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीनों में कीमतों में 8 से 10 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष संतोष रूंगटा ने भी कहा, 'पिछले कुछ महीनों में सीमेंट की कीमतों में 15 से 20 प्रतिशत की बढाेतरी हुई है। इसकी प्रमुख वजह सरकारी क्षेत्र की मांग में हुई बढ़ोतरी है। चुनाव के बाद इसमें स्थिरता आएगी।'
एंजेल ब्रोकिंग के विश्लेषक पवन बेर्डे ने कहा कि पारंपरिक रुप से वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में सीमेंट की कीमतें अधिक रहीं। इसमें तेजी इसलिए भी देखी गई क्योंकि बिल्डर मॉनसून की वजह से अपना काम जल्दी समाप्त करना चाहते हैं।
उन्होंने कहा, 'किसी रियल्टी या बुनियादी परियोजना की लागत में सीमेंट की हिस्सेदारी सात से आठ प्रतिशत की होती है। अखिल भारतीय स्तर पर देखें तो पिछले साल दिसंबर में सीमेंट की कीमतें 237 ररुपये प्रति बोरी थी जो फिलहाल 245 रुपये प्रति बोरी है।'
मध्य भारत के अधिकांश हिस्से में दिसंबर 2008 से लेकर मार्च 2009 के बीच सीमेंट की कीमतों में 10 से 20 रुपये प्रति बोरी की बढ़ोतरी हुई है। पश्चिम भारत में इसकी कीमतें लगभग 265 रुपये प्रति बोरी है जबकि पूर्वी हिस्से में 244 रुपये प्रति बोरी। सीमेंट की कीमतें सबसे अधिक दक्षिण भारत में चल रही हैं जहां इसे 279 रुपये प्रति 50 किलोग्राम पर बेचा जा रहा है। (BS Hindi)
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